फसल उत्सव | 16 Jan 2024
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने फसल उत्सव मकर संक्रांति, उत्तरायण, भोगी, माघ बिहू और पोंगल के शुभअवसर पर देश के लोगों को शुभकामनाएँ दी हैं।
- इन त्योहारों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में मुर्गों की लड़ाई का भी आयोजन किया जाता है।
भारत में फसल उत्सव कौन-से हैं?
- मकर संक्रांति:
- मकर संक्रांति सूर्य के अंतरिक्ष में भ्रमण के दौरान मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है।
- यह दिन गर्मियों की शुरुआत और हिंदुओं के लिये छह महीने की शुभ अवधि का प्रतीक है, जिसे उत्तरायण (सूर्य की उत्तर दिशा की ओर गति) के रूप में जाना जाता है।
- ‘उत्तरायण’ के आधिकारिक उत्सव के एक भाग के रूप में, गुजरात सरकार वर्ष 1989 से अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव की मेज़बानी कर रही है।
- इस दिन से जुड़े उत्सवों को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
- उत्तर भारतीय हिंदुओं और सिखों द्वारा लोहड़ी,
- मध्य भारत में सुकारत,
- असमिया हिंदुओं द्वारा भोगाली बिहू और
- तमिल तथा अन्य दक्षिण भारतीय हिंदुओं द्वारा पोंगल।
- बिहू:
- यह तब मनाया जाता है जब असम में वार्षिक फसल होती है। असमिया नववर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिये लोग माघ बिहू/भोगाली बिहू मनाते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार उस समय से शुरू हुआ जब घाटी के लोगों ने ज़मीन जोतना शुरू किया।
- पोंगल:
- पोंगल शब्द का अर्थ है 'अतिप्रवाह' या 'उबलना'।
- थाई पोंगल (Thai Pongal) के रूप में भी जाना जाता है, यह चार दिवसीय अवसर थाई महीने में मनाया जाता है, जब चावल जैसी फसलों की कटाई की जाती है और लोग ईश्वर तथा भूमि की उदारता के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।
- तमिल लोग चावल के पाउडर से अपने घरों में कोलम नामक पारंपरिक डिज़ाइन बनाकर इस अवसर का जश्न मनाते हैं।
मुर्गे की लड़ाई क्या होती है?
- परिचय:
- मुर्गों की लड़ाई, जिसे स्थानीय शब्दजाल में "कोडी पांडालु" के नाम से भी जाना जाता है, एक छोटे से मैदान में विशेष रूप से पाले गए और प्रशिक्षित पक्षियों (विशेषतः मुर्गे) को एक छोटे से मैदान में तेज़ पैर के ब्लेड के साथ एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाता है, जब तक कि कोई मारा या बुरी तरह घायल न हो जाए। इन झगड़ों पर सट्टेबाज़ी आम बात है, जिसके परिणामस्वरूप ज़्यादा रकम मिलती है।
- मुर्गों की लड़ाई से संबंधित कानून:
- पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (Prevention of Cruelty to Animals- PCA) अधिनियम, 1960 के तहत मुर्गों की लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो जंतुओं की लड़ाई के आयोजन और भागीदारी पर रोक लगाते हैं।
- इसके अतिरिक्त भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मनोरंजन प्रयोजनों के लिये जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले निर्णय जारी किये हैं जिनमें मुर्गों की लड़ाई (Rooster Fights) जैसे आयोजन भी शामिल हैं।