H5N1 बर्ड फ्लू और डेमोइसेल क्रेन | 23 Jan 2025
स्रोत: डाउन टू अर्थ
राजस्थान के जैसलमेर में प्रवासी डेमोइसेल क्रेनों को H5N1 बर्ड फ्लू के फैलने का खतरा है, जो असामान्य रूप से अधिक वर्षा के कारण विषाक्त जलाशयों और चने के खेतों में कीटनाशक के छिड़काव के कारण और भी अधिक बढ़ गया है।
- H5N1: एवियन इन्फ्लूएंजा A (H5N1) या H5N1 बर्ड फ्लू एक प्रकार का फ्लू वायरस है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है, लेकिन यह मानवों में भी संक्रमण का कारण बन सकता है।
- इसकी उत्पत्ति वर्ष 1996 में चीन में हुई थी, इसके बाद H5N1 वायरस का प्रसार अन्य देशों में भी देखने को मिला।
- वर्ष 2020 से यह वैश्विक स्तर पर महाद्वीपों में फैल गया। भारत में पहली बार H5N1 का प्रकोप वर्ष 2015 में देखा गया था, जिससे महाराष्ट्र और गुजरात गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे।
- मनुष्यों में फैलना: संक्रमित पक्षियों या दूषित वातावरण के साथ निकट संपर्क एवियन इन्फ्लूएंजा A वायरस के मानव संक्रमण का प्राथमिक मार्ग है। व्यक्ति-से-व्यक्ति संक्रमण दुर्लभ है, लेकिन संभव है।
- डेमोइसेल क्रेन: डेमोइसेल क्रेन (भारत में कूंज या कुरजाँ के नाम से जाना जाता है), जो रूस के साइबेरियाई क्षेत्र में मूल रूप से पाया जाता है, अत्यधिक ठंड से बचने के लिये सर्दियों के दौरान भारत, विशेष रूप से राजस्थान में प्रवास करता है।
- संरक्षण: अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) का दर्जा (कम चिंताजनक) तथा खीचन (राजस्थान में) भारत का पहला डेमोइसेल क्रेन रिज़र्व है, जहाँ प्रत्येक वर्ष शीतकाल के दौरान 20,000-30,000 क्रेन आते हैं।
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