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गुरुपर्व को ‘विश्व पैदल यात्री दिवस’ घोषित करने का प्रस्ताव

  • 02 Nov 2021
  • 4 min read

हाल ही में पंजाब पुलिस ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है कि सड़क सुरक्षा पर जागरूकता फैलाने के लिये गुरु नानक देव की जयंती (गुरुपर्व) को 'विश्व पैदल यात्री दिवस' के रूप में घोषित किया जाए।

  • वर्ष 2021 में गुरु नानक का 552वाँ गुरुपर्व 19 नवंबर को मनाया जाएगा।

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प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • आध्यात्मिक संवादों में संलग्न होकर एकता के संदेश को फैलाने के लिये गुरु नानक देव ने 15वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान दूर-दूर तक की यात्रा की।
      • ऐसा माना जाता है कि उस समय जब परिवहन के साधन सीमित थे और ज़्यादातर नाव, जानवरों (घोड़े, खच्चर, ऊँट, बैलगाड़ी) तक ही सीमित थे, गुरु नानक देव ने अपने साथी भाई मर्दाना के साथ अपनी अधिकांश यात्रा पैदल ही की
    •  गुरु नानक देव ने मक्का से हरिद्वार, सिलहट से कैलाश पर्वत तक अपनी पूरी यात्रा (जिसे उदासी भी कहा जाता है) के दौरान हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित सैकड़ों धार्मिक स्थलों का दौरा किया।
    • कुछ स्थलों पर उनकी यात्रा के उपलक्ष्य में गुरुद्वारों का निर्माण किया गया था। बाद में उनकी यात्रा को 'जन्मसखियों' नामक ग्रंथों में प्रलेखित किया गया।
    • ये स्थल वर्तमान में भौगोलिक विभाजन के अनुसार नौ देशों में फैले हुए हैं - भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, चीन (तिब्बत), बांग्लादेश, सऊदी अरब, श्रीलंका और अफगानिस्तान।
  • प्रस्ताव का महत्त्व 
    • यह "चलने का अधिकार" या पैदल चलने वालों के अधिकारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है। तथा यह पैदल चलने वालों के लिये 'पैदल यात्री बचाओ' प्रतिज्ञा शुरू करने हेतु नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
    • एक समुदाय जो अपने पैदल यात्रियों की सुरक्षा करता है, उसे विकसित माना जाता है और वह सतत् विकास लक्ष्यों में योगदान देता है।
    • अकेले पंजाब में ही हर साल औसतन कम-से-कम एक हज़ार पैदल चलने वालों की मौत हो जाती है।

गुरु नानक के बारे में

  • उनका जन्म 1469 में लाहौर के पास तलवंडी राय भोई ग्राम में हुआ था।
  • उनकी सबसे प्रमुख शिक्षा यह है कि ईश्वर एक है,और बिना किसी कर्मकांड या पुजारियों की मदद से हर मनुष्य भगवान तक पहुँच सकता है।
  • उनकी शिक्षाएँ जाति व्यवस्था की निंदा करती हैं और यह सिखाती हैं कि जाति या लिंग की परवाह किये बिना हर कोई समान है।
  • उन्होंने ‘वाहेगुरू’ के रूप में ईश्वर की अवधारणा पेश की, जिसके अनुसार ईश्वर एक ऐसी इकाई है जो आकारहीन, कालातीत, सर्वव्यापी और अदृश्य है। सिख धर्म में भगवान के अन्य नाम अकाल पुरख और निरंकार हैं। उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' (निराकार परमात्मा की भक्ति और पूजा) की वकालत की।
  • वर्ष 1539 में करतारपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान) में उनकी मृत्यु हो गई।
  • सिखों के सबसे पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक द्वारा रचित 974 काव्य भजन हैं।
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