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GST संग्रह

  • 05 Apr 2022
  • 4 min read

मार्च 2022 में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) का सकल संग्रह (फरवरी में हुए विक्रय के संदर्भ में) बढ़कर 1.42 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह संग्रह मार्च 2021 की तुलना में 14.7% और मार्च 2020 की तुलना में 45.6% अधिक है।

GST संग्रह में वृद्धि का कारण:

  • अपवंचन-रोधी उपाय, "विशेष रूप से नकली बिल भेजने वालों के खिलाफ कार्रवाई" और आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी के कारण GST संग्रह में यह वृद्धि हुई है।
  • 'उत्क्रमी शुल्क संरचना' (Inverted Duty Structure) को ठीक करने के लिये GST परिषद द्वारा किये गए दर युक्तिकरण उपाय।
    • उत्क्रमी शुल्क संरचना एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करती है जहाँ आगत/निवेश/इनपुट पर टैक्स की दर यानी GST, आउटपुट आपूर्ति या तैयार वस्तु/माल पर लगने वाले कर की दर से अधिक होती है।
  • आर्थिक सुधार और घरेलू खपत में वृद्धि।
    • फरवरी में जारी ई-वे बिलों की कुल संख्या 6.91 करोड़ थी, जो एक महीने पहले देखे गए 6.88 करोड़ ई-वे बिलों से अधिक थी, अन्य महीनों की तुलना में फरवरी माह में दिनों की संख्या कम होने के बावजूद यह " व्यावसायिक गतिविधियों की तीव्र रिकवरी" को इंगित करता है।

वस्तु एवं सेवा कर:

  • GST को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से पेश किया गया था।
  • यह देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक है।
    • इसे 'वन नेशन वन टैक्स' (One Nation One Tax) के नारे के साथ पेश किया गया था।
  • जीएसटी में उत्पाद शुल्क, मूल्य वर्द्धित कर (वैट), सेवा कर, विलासिता कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर दिया गया है।
  • यह अनिवार्य रूप से एक उपभोग कर (Consumption Tax) है और अंतिम उपभोग बिंदु पर लगाया जाता है।
  • इसने दोहरे कराधान, करों के व्यापक प्रभाव, करों की बहुलता, वर्गीकरण के मुद्दों आदि को कम करने में मदद की है और एक आम राष्ट्रीय बाज़ार को प्रस्तुत किया है।
  • वस्तुओं या सेवाओं (यानी इनपुट पर) की खरीद के लिये एक व्यापारी द्वारा कर का भुगतान किया जाता है, अब GST को अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
    • सेट ऑफ टैक्स (Set Off Tax) को इनपुट टैक्स क्रेडिट कहा जाता है।
  • जीएसटी कर के व्यापक प्रभाव या कर के भार को कम करता जो अंतिम उपभोक्ता पर भारित होता है।
  • GST के तहत कर संरचना:
    • उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि को कवर करने के लिये केंद्रीय जीएसटी।
    • VAT, लक्ज़री टैक्स आदि को कवर करने के लिये राज्य जीएसटी।
    • अंतर्राज्यीय व्यापार को कवर करने के लिये एकीकृत जीएसटी (IGST)।
      • IGST स्वयं एक कर नहीं है बल्कि राज्य और संघ के करों के समन्वय के लिये एक कर प्रणाली है।
    • इसमें स्लैब के तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिये 4-स्तरीय कर संरचना  5%, 12%, 18% और 28% है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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