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ग्रीन पिट वाइपर

  • 20 Jul 2022
  • 3 min read

हाल ही में विश्व साँप दिवस (16 जुलाई, 2022) पर ग्रीन पिट वाइपर के ज़हर को निष्क्रिय करने के लिये प्रभावी एंटीवेनम विकसित करने पर सहमति बनी।

Green-Pit-Vipers

ग्रीन पिट वाइपर से संबंधित चिंताएँ:

  • हालाँकि ग्रीन पिट वाइपर रसेल वाइपर से अधिक घातक नहीं है, लेकिन यह काटते समय हेमोटॉक्सिक ज़हर को छोड़ता है, जो शरीर में रक्त के थक्के बनने से रोकता है; परिणामस्वरूप आंतरिक रक्तस्राव होता है।
  • इसके अलावा भारत में उपलब्ध एंटीवेनम से ग्रीन पिट वाइपर के ज़हर को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है।
    • पूर्वोत्तर भारत में अब तक दर्ज किये गए 64 में से 15 विषैले सांँपों में मोनोकल्ड कोबरा, बैंडेड करैत, काला करैत, ग्रेट ब्लैक करैत, माउंटेन पिट वाइपर और रेडनेक कीलबैक शामिल हैं।
  • इस क्षेत्र में सर्पदंश के अधिकांश मामलों में ग्रीन पिट वाइपर की विभिन्न प्रजातियांँ शामिल हैं, जिसमें अन्य विषैले साँप भी पाए जाते है
  • सर्पदंश की मानकीकृत रिपोर्टिंग का अभाव है।
    • वर्तमान उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, इसमें 1.4 मिलियन से अधिक मामले हैं जिसके परिणामस्वरूप सालाना 1,25,000 मौतें होती हैं।

पिट वाइपर:

  • पिट वाइपर, वाइपर की कोई भी प्रजाति (सबफैमिली क्रोटालिने) जिसमें दो जंगम (नुकीले डंक) के अलावा आँख और नथुने के बीच एक गर्मी-संवेदनशील अंग होता है जो इसे शिकार करने में सहायता करता है।
  • पिट वाइपर रेगिस्तान से लेकर वर्षा वनों तक में पाए जाते हैं।
  • ये स्थलीय, वृक्षीय या जलीय हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ अंडे देती हैं और अन्य प्रजातियाँ जीवित बच्चों को जन्म देती हैं।
  • विषैले पिट वाइपर प्रजातियों में हंप-नोज्ड पिट वाइपर, मैंग्रोव पिट वाइपर और मालाबार पिट वाइपर शामिल हैं।
  • रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर भारत में पाई जाने वाली दो सबसे ज़हरीली वाइपर प्रजातियांँ हैं जो भारत के चार सबसे ज़हरीले एवं सबसे घातक सांँपों के सदस्य हैं।
    • भारत में ज़्यादातर सर्पदंश की घटनाएँ इन्हीं प्रजातियों के कारण होती हैं।

स्रोत: द हिंदू

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