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ग्रैविटी होल

  • 13 Apr 2024
  • 2 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

हाल ही में भूवैज्ञानिकों के लिये हिंद महासागर में "ग्रैविटी होल" का रहस्य चर्चा का विषय रहा है।

  • पृथ्वी का आकार और गुरुत्वाकर्षण इसके धरातल पर एक समान नहीं होता है। इसके स्थान पर यह (गुरुत्वाकर्षण बल) ध्रुवों पर अधिक और भूमध्य रेखा पर कम होता है जिससे गुरुत्व विसंगति (Gravity Anomaly) की परिघटना होती है।
  • इसके अतिरिक्त गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के भीतर क्रस्ट, मेंटल और क्रोड के द्रव्यमान वितरण के आधार पर भिन्न होता है। हिंद महासागर में ग्रैविटी होल इसका एक उदाहरण है।
  • 'ग्रेविटी होल', जिसे आधिकारिक तौर पर इंडियन ओशन जियोइड लो (Indian Ocean geoid low) के रूप में जाना जाता है, जिसका आशय समुद्री स्तर में एक विशाल निम्न भू-भाग/क्षेत्र से है जो वैश्विक औसत से लगभग 106 मीटर कम है और लगभग 1.2 मिलियन वर्ग मील क्षेत्र को कवर करता है।
  • इसकी उत्पत्ति भारत के दक्षिणी सिरे से होती है और इसे सबसे पहले वर्ष 1948 में डच भू-भौतिकीविद् फेलिक्स एंड्रीज़ वेनिंग माइनेज़ द्वारा प्रकाश में लाया गया था।

और पढ़ें… गुरुत्वीय तरंगे

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