घोल मछली | 23 Nov 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
गुजरात ने हाल ही में ब्लैक-स्पॉटेड क्रोकर (प्रोटोनिबिया डायकैंथस), जिसे स्थानीय तौर पर घोल मछली के नाम से जाना जाता है, को राज्य मछली घोषित किया है।
- यह निर्णय विभिन्न कारकों पर आधारित था, जिसमें इसकी विशिष्टता, आर्थिक मूल्य तथा संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर देना था।
घोल मछली से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- भौगोलिक वितरण:
- घोल मछली मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाई जाती है।
- इसका प्राकृतिक वास फारस की खाड़ी से लेकर प्रशांत महासागर तक विस्तृत है।
- घोल मछली मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाई जाती है।
- आर्थिक महत्त्व:
- घोल मछली की चीन और अन्य एशियाई देशों के बाज़ार में पर्याप्त मांग है।
- घोल मछली को इसके उच्च बाज़ार मूल्य के कारण 'सी गोल्ड' के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका मांस यूरोपीय और मध्य-पूर्वी देशों में निर्यात किया जाता है, जबकि ड्राई एयर ब्लैडर की विशेष रूप से चीन में अत्यधिक मांग है।
- गुजरात में एक किलोग्राम घोल की कीमत 5,000 रुपए से 15,000 रुपए तक है।
- ड्राई एयर ब्लैडर, जिसे सबसे महँगा हिस्सा माना जाता है, निर्यात बाज़ार में इसकी कीमत 25,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुँच सकती है।
- घोल मछली की चीन और अन्य एशियाई देशों के बाज़ार में पर्याप्त मांग है।
- लाभ:
- आँखों के स्वास्थ्य के लिये अच्छा है और आँखों की रोशनी बनाए रखने में सहायता करती है।
- उम्र बढ़ने और झुर्रियों को रोकने के लिये घोल मछली में मौजूद कोलेजन की मात्रा झुर्रियों को रोकती है और त्वचा की लोच को भी बरकरार रखती है।
- अगर इसे नियमित रूप से खिलाया जाए तो घोल मछली में मौजूद ओमेगा-3 की मात्रा शिशुओं की इंटेलिजेंस कोशेंट (IQ) में सुधार करती है, यह मस्तिष्क कोशिकाओं के विकास में सहायता करती है।
- संरक्षण:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट: निकट संकटग्रस्त।
नोट:
- समुद्री और अंतर्देशीय मछली प्रजातियों की समृद्ध विविधता के साथ गुजरात, भारत में मत्स्य उत्पादन में अग्रणी राज्यों में से एक है।
- वर्ष 2021-22 में गुजरात में कुल 8.74 लाख टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया।