प्रारंभिक परीक्षा
घड़ियाल
- 21 Dec 2021
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हाल ही में पंजाब वन और वन्यजीव संरक्षण विभाग ने ‘वर्ल्ड-वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया’ (WWF-India) के सहयोग से ‘ब्यास संरक्षण रिज़र्व’ में 24 घड़ियाल (Gavialis Gangeticus) छोड़े हैं।
- ब्यास संरक्षण रिज़र्व में घड़ियाल पुनरुत्पादन पंजाब सरकार का एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- घड़ियाल, जिसे कभी-कभी गेवियल (Gavials) भी कहा जाता है, एक प्रकार का एशियाई मगरमच्छ है जो अपने लंबे, पतले थूथन के कारण अलग आकृति का होता है। मगरमच्छ सरीसृपों का एक समूह है जिसमें मगरमच्छ, घड़ियाल, कैमन आदि शामिल हैं।
- भारत में मगरमच्छों की तीन प्रजातियाँ हैं अर्थात्:
- घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस): IUCN रेड लिस्ट- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- मगर (Crocodylus Palustris): IUCN- सुभेद्य।
- खारे पानी का मगरमच्छ (Crocodylus Porosus): IUCN- कम चिंतनीय।
- तीनों को CITES के परिशिष्ट I और वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है।
- अपवाद: ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी की खारे पानी की मगरमच्छ आबादी को CITES के परिशिष्ट II में शामिल किया गया है।
- घड़ियाल का निवास स्थान:
- प्राकृतिक आवास: भारत के उत्तरी भाग का ताज़ा पानी।
- प्राथमिक आवास: चंबल नदी (यमुना की एक सहायक नदी)।
- माध्यमिक आवास: घाघरा, गंडक नदी, गिरवा नदी (उत्तर प्रदेश), रामगंगा नदी (उत्तराखंड) और सोन नदी (बिहार)।
- महत्व: घड़ियाल की आबादी स्वच्छ नदी के पानी का एक अच्छा संकेतक है।
- संरक्षण के प्रयास:
- लखनऊ, उत्तर प्रदेश में कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र व प्रजनन केंद्र, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (घड़ियाल इको पार्क, मध्य प्रदेश)।
- जोखिम:
- नदी प्रदूषण में वृद्धि, बाँध निर्माण, बड़े पैमाने पर मछली पकड़ना और बाढ़।
- अवैध बालू खनन व अवैध शिकार।
ब्यास संरक्षण रिज़र्व:
- यह मुख्य रूप से पंजाब राज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित ब्यास नदी का 185 किलोमीटर लंबा खंड है।
- यह रिज़र्व भारत में लुप्तप्राय सिंधु नदी डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका माइनर) की एकमात्र ज्ञात आबादी का भी आवास स्थल है।
- वर्ष 2017 में गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) के पुनर्संरक्षण के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया गया था।
व्यास नदी:
- यह रोहतांग दर्रे के पास, समुद्र तल से 4,062 मीटर की ऊँचाई पर, पीर पंजाल रेंज के दक्षिणी छोर पर रावी के स्रोत के करीब से निकलती है। यह सिंधु नदी की एक सहायक नदी है।
- यह पंजाब के हरिके में सतलुज नदी से मिलती है। यह तुलनात्मक रूप से एक छोटी नदी है जो केवल 460 किमी. लंबी है लेकिन पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में स्थित है।
- यह धौलाधार रेंज में ‘काटी और लार्गी’ में एक गॉर्ज का निर्माण करती है।
- ब्यास नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ बैन, बाणगंगा, लूनी और उहल के साथ-साथ बैनर, चक्की, गज, हरला, ममुनि, पार्वती, पाटलीकुहल, सैंज, सुकेती और तीर्थन हैं।