जीनोमइंडिया | 09 Apr 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
नेचर जेनेटिक्स द्वारा जीनोमइंडिया परियोजना के निष्कर्षों को प्रकाशित किया गया जिसमें भारत भर के प्रमुख जातीय समूहों को कवर करते हुए 85 अलग-अलग जनसंख्या समूहों (32 आदिवासी और 53 गैर-आदिवासी) के लगभग 10,000 लोगों के संपूर्ण जीनोम को अनुक्रमित किया गया।
- इस अध्ययन में 180 मिलियन आनुवंशिक वेरिएंट की पहचान की गई है, जिनमें से 130 मिलियन ऑटोसोम्स (गैर-लैंगिक गुणसूत्र) तथा 50 मिलियन लैंगिक गुणसूत्र (X and Y) से संबंधित थे।
- कुछ विभिन्न रोगों से संबंधित हैं, कुछ दुर्लभ हैं तथा कुछ भारत या विशिष्ट समुदायों तक ही सीमित हैं।
जीनोमइंडिया परियोजना क्या है?
- जीनोम इंडिया परियोजना: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा वर्ष 2020 में शुरू की गई जीनोम इंडिया परियोजना का उद्देश्य भारतीय आबादी की आनुवंशिक विविधता का मानचित्रण करना है।
- भारतीय विज्ञान संस्थान के मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र, कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र तथा राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान सहित 20 से अधिक अग्रणी संस्थानों ने परियोजना के प्रथम चरण में 10,000 जीनोमों को अनुक्रमित करने के लिये सहयोग किया है।
- इसका मुख्य उद्देश्य एक व्यापक भारतीय संदर्भ वाले जीनोम का निर्माण करना है।
- IBDC: जीनोम डेटा भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) में संग्रहीत किया जाना शामिल है जो भारत का पहला राष्ट्रीय जीवन विज्ञान डेटा भंडार है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रीय केंद्र (RCB), फरीदाबाद में DBT के समर्थन तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से स्थापित किया गया है।
- महत्व: यह पहल वैश्विक डेटाबेस में भारतीय जीनोम के कम प्रतिनिधित्व की समस्या को दूर करती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय जीनोमिक्स अनुसंधान में भारत की स्थिति में सुधार होगा।
जीनोम अनुक्रमण से संबंधित अन्य प्रमुख पहलें क्या हैं?
- IndiGen कार्यक्रम: इसे वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा वर्ष 2019 में शुरू किया गया, जिसके तहत 1029 भारतीयों के संपूर्ण जीनोम को सफलतापूर्वक अनुक्रमित किया गया तथा 55.9 मिलियन एकल न्यूक्लियोटाइड वेरिएंट की पहचान की गई, जिनमें से 18 मिलियन (~ 32%) भारतीय जीनोम के लिये अद्वितीय थे।
- वन डे वन जीनोम पहल: DBT द्वारा वर्ष 2024 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य भारत की सूक्ष्मजीव विविधता को प्रदर्शित करने के लिये प्रतिदिन एक जीवाणु जीनोम को अनुक्रमित करना तथा सार्वजनिक रूप से जारी करना है।
- जीनोमिक्स एवं स्वास्थ्य के लिये वैश्विक गठबंधन (GA4GH): वर्ष 2013 में स्थापित GA4GH एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन है जो मानवाधिकार ढाँचे के तहत जीनोमिक डेटा के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु मानक निर्धारित करता है।
- मानव जीनोम परियोजना: इसका समन्वयन अमेरिका द्वारा किया गया तथा यह वर्ष 1990 से 2003 तक संचालित रही, जिसके तहत शोधकर्त्ताओं को मानव जीव की आनुवंशिक संरचना के बारे में मौलिक जानकारी उपलब्ध कराई गई।
जीनोम अनुक्रमण क्या है?
- जीनोम: यह किसी जीव में उपस्थित आनुवंशिक सामग्री (अधिकांश जीवों में डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA); कुछ वायरस में राइबोन्यूक्लिक एसिड) के संपूर्ण समूह को संदर्भित करता है।
- इसमें जीव के विकास, कार्यप्रणाली और अस्तित्व के लिये आवश्यक सभी जैविक निर्देश सम्मिलित होते हैं।
- जीनोम अनुक्रमण: यह किसी जीव के जीनोम में न्यूक्लियोटाइड बेस (एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G), थाइमिन (T) और यूरैसिल (U) के पूर्ण अनुक्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
- इसमें संपूर्ण जीनोम, आंशिक जीनोम या लक्षित जीन अनुक्रमण शामिल हो सकता है
- संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (WGS): इसका उपयोग एक ही समय में किसी जीव के जीनोम के संपूर्ण DNA अनुक्रम को निर्धारित करने के लिये किया जाता है जिससे संपूर्ण जीनोम में सभी न्यूक्लियोटाइड बेसों के सटीक क्रम की पहचान होती है।
- यह किसी जीव का सबसे व्यापक आनुवंशिक आधार उपलब्ध कराता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)
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