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हीमोफीलिया के लिये जीन थेरेपी उपचा

  • 13 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

भारतीय वैज्ञानिकों ने हीमोफीलिया A के लिये एक नवीन जीन थेरेपी विकसित की है, जो बार-बार दिये जाने वाले क्लॉटिंग फैक्टर इंजेक्शन के स्थान पर एक बार में उपचार प्रदान करती है। 

  • वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में किये गए परीक्षण में पाँच रोगियों को एक वर्ष से अधिक समय तक रक्तस्राव की कोई समस्या नहीं हुई।
  • हीमोफीलिया A एक आनुवंशिक विकार है जो फैक्टर VIII की कमी के कारण होता है, जो रक्त के थक्के बनने में बाधा उत्पन्न करता है। भारत में 40,000 से 100,000 तक रोगी हैं तथा यह विश्व में हीमोफीलिया से प्रभावित लोगों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।
    • हीमोफीलिया A X-लिंक्ड अप्रभावी पैटर्न में वंशानुगत होता है। दोषपूर्ण X गुणसूत्र वाले पुरुषों में हीमोफीलिया होता है, जबकि महिलाओं को प्रभावित होने के लिये दो दोषपूर्ण X गुणसूत्रों की आवश्यकता होती है। 
    • जीन थेरेपी वर्तमान उपचारों का एक किफायती विकल्प है, जिसकी लागत दस वर्षों में 2.54 करोड़ रुपए तक हो सकती है और यह आजीवन प्रभावी होती है।
  • जीन थेरेपी में रोगी की कोशिकाओं में दोषपूर्ण जीन को स्वस्थ जीन से प्रतिस्थापित किया जाता है।
  • रॉक्टेवियन, एकमात्र अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अनुमोदित जीन थेरेपी है, जो यकृत में फैक्टर VIII उत्पादन के लिये जीन परिवहन हेतु एडेनोवायरस वेक्टर का उपयोग करती है, लेकिन यह बच्चों के लिये अनुमोदित नहीं है।
  • वेल्लोर परीक्षण में एक लेंटिवायरस वेक्टर का उपयोग किया गया, जिसे बच्चों के लिये अधिक सुरक्षित और संभावित रूप से उपयुक्त माना गया, तथा जो सीमित संसाधनों वाली परिस्थितियों में जीन थेरेपी के लिये नई संभावनाएँ प्रदान करता है।

और पढ़ें: विश्व हीमोफीलिया दिवस

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