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फ्रंट रनिंग और इनसाइडर ट्रेडिंग

  • 02 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स  

हाल ही में भारत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) द्वारा एक म्यूचुअल फंड की संदिग्ध फ्रंट-रनिंग के लिये जाँच की जा रही है।

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (पारस्परिक निधि) विनियम, 1996 के तहत फ्रंट-रनिंग या टेलगेटिंग एक अवैध गतिविधि है, जिसमें फंड मैनेजर मूल्य में होने वाले अपेक्षित परिवर्तनों से लाभ अर्जित करने के लिये बड़े आगामी व्यापार के स्टॉक का पहले से ही क्रय कर लेता है।
    • ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति (भेदिया अथवा दलाल) अग्रिम जानकारी की सहायता से दूसरों से पहले स्टॉक का क्रय कर लेता है।
  • इनसाइडर ट्रेडिंग तब होती है जब किसी कंपनी में निहित स्वार्थ वाला कोई व्यक्ति व्यापार (स्टॉक का क्रय) करने के लिये गैर-सार्वजनिक जानकारी का उपयोग करता है।
    • इनसाइडर ट्रेडिंग में प्रायः कंपनी के अधिकारी या कर्मचारी शेयर बाज़ार में लाभ प्राप्त करने के लिये कंपनी की गोपनीय जानकारी का अनुचित उपयोग करते हैं।
    • वहीं फ्रंट-रनिंग में प्रायः फंड मैनेजर या ब्रोकर अपने ग्राहकों द्वारा किये जाने वाले आगामी ट्रेडों के बारे में अपनी जानकारी का लाभ उठाते हैं।
  • भारत में, SEBI अधिनियम, 1992 के तहत इनसाइडर ट्रेडिंग प्रतिबंधित है। SEBI ने SEBI (भेदिया व्यापार का प्रतिषेध) विनियम, 2015 की स्थापना की है, जो इनसाइडर ट्रेडिंग की रोकथाम करने और प्रतिबंधित करने के नियमों की रूपरेखा तैयार करता है।
  • ये प्रथाएँ निवेशकों की वित्तीय बाज़ारों की निष्पक्षता और पारदर्शिता में विश्वास को कम करती हैं।

और पढ़ें: म्यूचुअल फंड और भारत की उभरती अर्थव्यवस्था

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