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भारत-म्याँमार सीमा पर FMR

  • 15 Feb 2025
  • 3 min read

स्रोत: TH

संशोधित मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) के तहत भारत-म्याँमार सीमा पर 43 नियोजित क्रॉसिंग प्वाइंटों में से 22 बॉर्डर गेट (सीमा द्वारों) को सक्रिय कर दिया गया है, जिसका उद्देश्य सीमा सुरक्षा बनाए रखते हुए आवागमन को विनियमित करना है।

  • म्याँमार के साथ भारत की 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा अरुणाचल प्रदेश (520 किमी), नगालैंड (215 किमी), मणिपुर (398 किमी) और मिज़ोरम (510 किमी) से होकर गुज़रती है। 1,472 किलोमीटर की सीमा का सीमांकन किया जा चुका है।
  • FMR: वर्ष 1968 में बड़े पैमाने पर बिना बाड़ वाली पूर्वोत्तर सीमा पर जातीय और पारिवारिक संबंधों के कारण आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिये शुरू किया गया था।
    • वर्ष 2004 में मुक्त आवागमन की सीमा 40 किमी से घटाकर 16 किमी कर दी गई और अब यह 10 किमी है।
    • सीमा पर रहने वाले लोग बिना वीजा या पासपोर्ट के यात्रा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें QR कोड-सक्षम सीमा पास की आवश्यकता होती है। बायोमेट्रिक डेटा रिकॉर्ड किया जाता है और नकारात्मक सूची के विरुद्ध जाँच के लिये एक केंद्रीकृत पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
    • असम राइफल्स सीमा पास जारी करने और प्रारंभिक सुरक्षा सत्यापन करने के लिये ज़िम्मेदार है। सीमा पास की वैधता 7 दिनों तक होती है।
  • असम राइफल्स: भारत का सबसे पुराना अर्द्धसैनिक बल, जिसकी स्थापना वर्ष 1835 में हुई थी। ब्रिटिश चाय बागानों की रक्षा करने से लेकर पूर्वोत्तर में आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और भारत-म्याँमार सीमा की रक्षा करने तक इसका विकास हुआ।
    • असम राइफल्स ने भारत-चीन युद्ध (1962) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसे 'पूर्वोत्तर के प्रहरी' और 'पहाड़ी लोगों के मित्र' के रूप में जाना जाता है।
    • मुख्यालय: शिलांग में असम राइफल्स महानिदेशालय।

myanmar

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