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जल निकायों की पहली गणना

  • 22 Apr 2023
  • 4 min read

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने देश के जल संसाधनों के विषय में महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए जल निकायों की पहली गणना रिपोर्ट जारी की।

  • यह गणना भारत में जल स्रोतों की एक व्यापक सूची प्रदान करती है, जो ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के बीच असमानताओं तथा अतिक्रमण के विभिन्न स्तरों को उजागर करती है।

जल निकायों की गणना:

  • परिचय: 
    • जल निकायों की गणना वर्ष 2017-18 के लिये छठी लघु सिंचाई संगणना के संयोजन में की गई थी।
    • यह एक जल निकाय को “सिंचाई या अन्य प्रयोजनों हेतु जल के भंडारण के लिये उपयोग किये जाने वाले चारों ओर से चिनाईयुक्त अथवा बिना चिनाई वाले प्राकृतिक या मानव निर्मित इकाइयों के रूप में” परिभाषित करता है।
    • इस गणना का उद्देश्य भारत के जल संसाधनों की एक सूची प्रदान करना है, जिसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित जल निकाय जैसे तालाब, टैंक, झील तथा बहुत कुछ शामिल हैं, और जल निकायों के अतिक्रमण पर डेटा एकत्र करना है।
  • गणना के प्रमुख निष्कर्ष: 
    • गणना में देश भर में कुल 24,24,540 जल निकायों की गणना की गई, जिसमें पश्चिम बंगाल सबसे अधिक (7.47 लाख) और सिक्किम सबसे कम (134) है।
    • रिपोर्ट से पता चलता है कि:  
      • पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक तालाब और जलाशय हैं।
        • पश्चिम बंगाल में जल निकायों के मामले में शीर्ष ज़िला दक्षिण 24 परगना है।
      • आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक टैंक हैं।
      • तमिलनाडु में सबसे अधिक झीलें हैं।
      • महाराष्ट्र जल संरक्षण योजनाओं में अव्वल है।
    • रिपोर्ट में बताया गया है कि 97.1 प्रतिशत जल निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में केवल 2.9 प्रतिशत हैं। 
    • अधिकांश जल निकाय तालाब हैं, इसके बाद टैंक, जलाशय, जल संरक्षण योजनाएँ, लीकेज टैंक, चेक डैम, झीलें और अन्य हैं।

  • जलाशयों का अतिक्रमण:  
    • गणना  ने पहली बार जल निकायों के अतिक्रमण पर डेटा एकत्र किया, जिससे पता चला कि सभी गणना किये गए जल निकायों में से 1.6 प्रतिशत पर अतिक्रमण किया गया है, जिसमें 95.4 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में और शेष 4.6 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में हैं।
      • अतिक्रमणों का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिशत जलाशय के 75% से अधिक क्षेत्र को कवर करता है।
  • महत्त्व: 
    • गणना  नीति निर्माताओं को जल संसाधन प्रबंधन और संरक्षण के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिये महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करती है।
    • यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानताओं और अतिक्रमण को रोकने के लिये प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
    • गणना  में एकत्र किया गया डेटा भारत के जल संसाधनों के भविष्य के आकलन के लिये आधार रेखा के रूप में काम कर सकता है, जो स्थायी जल प्रबंधन की दिशा में परिवर्तन और प्रगति की निगरानी में मदद करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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