रैपिड फायर
चिड़ियाघर में पहला बायोबैंक
- 22 Feb 2025
- 2 min read
स्रोत: IE
पद्मजा नायडू हिमालयन ज़ूलॉजिकल पार्क (दार्जिलिंग चिड़ियाघर) में स्थित भारत का पहला वन्यजीव बायोबैंक वर्तमान में पूर्ण से क्रियाशील है।
- जुलाई 2024 में इसकी स्थापना की गई और तभी से यहाँ संकटापन्न प्रजातियों को प्राथमिकता देते हुए 23 प्रजातियों के 60 जंतुओं से DNA और ऊतक के नमूने एकत्र किये गए हैं।
- बायोबैंक: बायोबैंक (फ्रोज़न चिड़ियाघर) में संरक्षण और अनुसंधान हेतु जंतुओं के आनुवंशिक तत्त्वों को संरक्षित किया जाता है।
- इसमें संकटापन्न एवं मृत जंतुओं की कोशिकाएँ, ऊतक और जननात्मक नमूने शामिल हैं।
- आनुवंशिक विविधता बनाए रखने के लिये नमूनों को क्रायोजेनिक परिस्थितियों (तरल नाइट्रोजन में -196°C) में संग्रहित किया जाता है।
- यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) के सहयोग से राष्ट्रीय संरक्षण योजना का हिस्सा है।
- भविष्य में, दिल्ली राष्ट्रीय चिड़ियाघर और नंदनकानन चिड़ियाघर (ओडिशा) में बायोबैंक स्थापित करने की योजना है।
- अमेरिकन ब्लैक-फुटेड फेरेट और उत्तरीय एक-सींग वाले गैंडे (Northern One-horned Rhino) जैसी प्रजातियों को बंदी प्रजनन और संरक्षित DNA का उपयोग करके पुनर्जीवित किया गया है।
- दार्जिलिंग चिड़ियाघर:
- यह भारत का सबसे बड़ा उच्च ऊँचाई वाला चिड़ियाघर है, जो हिम तेंदुए, हिमालयी भेड़ियों और लाल पांडा जैसी अल्पाइन प्रजातियों के बंदी प्रजनन में विशेषज्ञता रखता है।
- इसमें लुप्तप्राय जीव-जंतु रहते हैं, जिनमें गोरल, साइबेरियाई बाघ और दुर्लभ पक्षी शामिल हैं।