प्रारंभिक परीक्षा
फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण
- 13 Sep 2024
- 7 min read
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
फेकल सामग्री को चिकित्सीय उपचार के रूप में प्रयोग करने की अवधारणा, जिसे फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण (FMT) के रूप में जाना जाता है, ने आरंभ में असंतोषजनक प्रदर्शन के बावजूद आहारनाल (gut) संबंधी विकारों के उपचार के लिये एक परिवर्तनकारी उपाय के रूप में ध्यान आकर्षित किया है।
- भारत ने इस क्षेत्र में सुधार किया है और यह उपचार लोगों के जीवन को नया आकार दे रहा है, हालाँकि अभी भी इसमें चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण (FMT)क्या है?
- FMT के बारे में: इसमें एक स्वस्थ दाता से फेकल सामग्री को असंतुलित या अस्वस्थ आहारनाल माइक्रोबायोटा वाले रोगी के जठरांत्र संबंधी मार्ग में स्थानांतरित किया जाता है।
- इसका प्राथमिक लक्ष्य दाता से प्राप्त लाभकारी बैक्टीरिया को प्राप्तकर्त्ता की आहारनाल में प्रत्यारोपित करना है, जिससे स्वस्थ माइक्रोबायोम को पुनः स्थापित करने तथा आहारनाल के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।
- लाभ: मानव आहारनाल में विविध सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जो पाचन, प्रतिरक्षा कार्य और हानिकारक रोगाणुओं से सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- FMT, आहारनाल माइक्रोबायोम में व्यवधान को ठीक करने में मदद करता है, जो प्रायः एंटीबायोटिक दवाओं, स्टेरॉयड या क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल (एक जीवाणु जो डाईरिया, कोलाइटिस और आहारनाल से संबंधित गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है) जैसे संक्रमणों के कारण होता है।
- FMT का उद्देश्य स्वस्थ बैक्टीरिया को शामिल करके, संतुलन पुनः स्थापित करना और समग्र आहारनाल के कार्य को सुचालित करना है।
- चुनौतियाँ और सीमाएँ: FMT को अभी तक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) जैसे केंद्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों द्वारा विनियमित नहीं किया गया है, जिससे मानकीकरण और सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- इस प्रक्रिया में संक्रामक रोगों और माइक्रोबायोम विविधता सहित जोखिमों से बचने के लिये सख्ती से दाताओं की जाँच करना आवश्यक है।
- उपचार की प्रभावकारिता के बावजूद फेकल सामग्री से जुड़ा 'YUCK' फैक्टर (यह सोचना कि कुछ घृणित या बहुत अप्रिय है) कई रोगियों के लिये बाधा बना हुआ है।
- FMT का भविष्य: शोधकर्त्ता इस बात पर ज़ोर देते हैं कि माइक्रोबायोम की भूमिका को पूरी तरह से समझने तथा FMT को एक मानक देखभाल पद्धति के रूप में स्थापित करने के लिये और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
- प्रोटोकॉल को परिष्कृत करने और FMT की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु परीक्षण और अध्ययन आवश्यक हैं। इसके अभ्यास को मानकीकृत करने और नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिये व्यापक दिशा-निर्देश एवं प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।
आहारनाल माइक्रोबायोटा
- यह बैक्टीरिया, वायरस, कवक और प्रोटोजोआ सहित खरबों सूक्ष्मजीवों के विशाल संग्रह को संदर्भित करता है, जो मानव जठरांत्र संबंधी मार्ग में पाए जाते हैं। यह सूक्ष्मजीव समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने और विभिन्न शारीरिक कार्यों में सहायता करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
- ये जटिल खाद्य घटकों को तोड़ने में मदद करते हैं और B12 और K जैसे आवश्यक विटामिन का उत्पादन करते हैं। लाभकारी सूक्ष्मजीव हानिकारक बैक्टीरिया को आहारनाल में स्थापित होने से रोकते हैं।
- चयापचय एवं ऊर्जा संतुलन: यह वसा भंडारण, ऊर्जा अवशोषण को प्रभावित करता है साथ ही यह मोटापा, चयापचय संबंधी विकार और ऑटिज्म से भी संबंधित है।
- आहारनाल-मस्तिष्क संबंध : आहारनाल-मस्तिष्क अक्ष के माध्यम से मनोदशा और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जो चिंता एवं अवसाद से जुड़ा हुआ है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. प्रजैविकों (प्रोबायोटिक्स) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
|