फसल बीमा योजनाओं का विस्तार | 04 Jan 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय किसानों को समर्थन देने के लिये प्रमुख उपायों को मंज़ूरी दी है, जिसमें डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरकों के लिये विशेष सब्सिडी का विस्तार एवं वर्ष 2025-26 तक फसल बीमा योजनाओं को जारी रखना शामिल है।
भारतीय किसानों को सहायता देने के लिये हाल ही में कौन से प्रमुख उपाय किये गए हैं?
- फसल बीमा योजना: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) को वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी।
- डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP): 1 जनवरी, 2025 से अगले आदेश तक पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी से परे DAP पर एकमुश्त विशेष पैकेज बढ़ाने को मंज़ूरी दी।
- यह वैश्विक बाज़ार में अस्थिरता के बावजूद खरीफ एवं रबी मौसम में किसानों के लिये सस्ती दर पर DAP उर्वरक सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
- नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (FIAT): पारदर्शिता बढ़ाने तथा किये गए क्लेम की गणना एवं निपटान के लिये YES-TECH और WINDS नामक योजना के अंतर्गत प्रौद्योगिकीय पहलों के वित्तपोषण हेतु 824.77 करोड़ रुपए की राशि के साथ FIAT के निर्माण को मंज़ूरी दी गई।
- प्रौद्योगिकी आधारित उपज आकलन प्रणाली (YES-TECH): YES-TECH के तहत प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमानों को महत्त्व देते हुए उपज आकलन के लिये रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करना शामिल है।
- मौसम सूचना एवं नेटवर्क डाटा प्रणाली (WINDS): WINDS का लक्ष्य ब्लॉक स्तर पर स्वचालित मौसम केंद्र और पंचायत स्तर पर वर्षामापी स्थापित करना है, जिससे अति-स्थानीय मौसम आँकड़ों के लिये नेटवर्क का घनत्व पाँच गुना बढ़ जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
- परिचय: यह एक फसल बीमा योजना है, जो किसानों को वर्षा, तापमान, पाला, आर्द्रता आदि अप्रत्याशित फसल विफलताओं के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाती है।
- उद्देश्य: यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो बुवाई से पूर्व से लेकर कटाई के बाद की अवधि तक व्यापक फसल बीमा प्रदान करती है।
- कवरेज़: इसमें खाद्य फसलें (अनाज, बाज़रा और दालें), तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागवानी फसलें शामिल हैं।
- अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले बटाईदारों और काश्तकारों समेत सभी किसान कवरेज़ के लिये पात्र हैं।
- प्रीमियम: इस योजना के तहत किसान खरीफ फसलों के लिये 2%, रबी फसलों के लिये 1.5% और वाणिज्यिक बागवानी फसलों के लिये 5% प्रीमियम का भुगतान करते हैं।
नोट: PMFBY प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिये मुआवज़ा देने के लिये वास्तविक फसल नुकसान के आकलन पर निर्भर करता है। इसके विपरीत, RWBCIS किसानों को वर्षा, तापमान, आर्द्रता और पवन की गति जैसे पूर्वनिर्धारित जलवायु मापदंडों से विचलन के आधार पर मुआवज़ा देता है।
- RWBCIS इन जलवायु मापदंडों का उपयोग फसल की उपज़ के लिये प्रॉक्सी के रूप में करता है, ताकि प्रत्यक्ष क्षेत्र-स्तरीय आकलन की आवश्यकता के बगैर, फसल के नुकसान का अनुमान लगाया जा सके और उसकी भरपाई की जा सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न 1. 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |