यूरो - डॉलर समानता | 21 Jul 2022

हाल ही में यूरो और अमेरिकी डॉलर की कीमत लगभग समान हो गई है , इसका अर्थ है कि एक अमेरिकी डॉलर से विदेशी मुद्रा बाज़ार में एक यूरो खरीदा जा सकता है।

  • वर्ष की शुरुआत के बाद से यूरो में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगभग 12% की गिरावट आई है और आगे भी इसमें गिरावट की संभावना व्यक्त की गई है।

मुद्रा विनिमय दर:

  • बाज़ार अर्थव्यवस्था में किसी भी मुद्रा की कीमत आपूर्ति और मांग द्वारा निर्धारित होती है।
    • विदेशी मुद्रा बाज़ार में किसी देश की मुद्रा की आपूर्ति केंद्रीय बैंक नीति, आयात एवं विदेशी परिसंपत्ति की स्थानीय मांग जैसे विभिन्न कारकों से निर्धारित होती है।
    • दूसरी ओर किसी देश की मुद्रा की मांग, केंद्रीय बैंक नीति, निर्यात एवं घरेलू परिसंपत्ति की विदेशी मांग जैसे कारकों द्वारा निर्धारित की जाती है।

यूरो के मूल्य में गिरावट के प्रमुख कारक:

  • यू.एस. फेडरल रिज़र्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीतियों में विचलन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यूरो के महत्त्वपूर्ण मूल्यह्रास के पीछे प्राथमिक कारण है।
  • जून 2022 में अमेरिका में मुद्रास्फीति चार दशक के उच्च स्तर 9.1% पर पहुँच गई है, जबकि यूरोज़ोन में मुद्रास्फीति उसी महीने के दौरान अपने उच्चतम स्तर 8.6% पर पहुँच गई है।
    • अमेरिकी फेडरल रिज़र्व ने अमेरिकी मुद्रा आपूर्ति वृद्धि को धीमा करने के लिये इस वर्ष ब्याज़ दरों में वृद्धि करके बढ़ती कीमतों पर प्रतिक्रिया दी है।
    • ECB नीति को सख्त करने में बहुत कम आक्रामक रहा है, हालाँकि कुछ यूरोपीय देशों में मुद्रास्फीति की दर 22% जितनी अधिक है।
      • यह यूरो के मूल्य को डॉलर के मुकाबले फिसलने करने का कारण बना है क्योंकि मुद्रा कम-से-कम डॉलर की आपूर्ति के मुकाबले बाज़ार में यूरो की आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है।
  • यूक्रेन पर रूस का आक्रमण और रूस के खिलाफ आगामी कार्रवाइयों के मद्देनज़र ऊर्जा आपूर्ति में अनिश्चितता से यूरो का मूल्य प्रभावित हुआ है।
    • यूरोप को अब सीमित ऊर्जा आपूर्ति को आयात करने के लिये अधिक यूरो खर्च करने पड़ रहे हैं, जिसने बदले में यू.एस. डॉलर के मुकाबले यूरो के मूल्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

यूरो-डॉलर पर समान अर्थव्यवस्था का प्रभाव:

  • व्यवसाय:
    • यूरो क्षेत्र के बाहर निर्यात करने वाली कंपनियाँ यूरो की गिरावट से लाभान्वित होती हैं क्योंकि डॉलर में परिवर्तित होने पर उनकी कीमतें अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो जाती हैं।
      • इसके विपरीत यूरो में बाहर से आयात करने वाली कंपनियों को नुकसान होगा क्योंकि उन्हें आयात के लिये अधिक यूरो का भुगतान करना होगा।
    • स्थानीय शिल्पकारों के मामले में जो कि कच्चे माल और ऊर्जा पर निर्भर हैं, लेकिन बहुत कम निर्यात करते हैं, कमज़ोर यूरो लागत में वास्तविक वृद्धि का कारण बन सकता है।
  • विकास और ऋण:
    • यूरो के मूल्य में गिरावट एकल मुद्रा क्षेत्र के बाहर कीमतों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती है, सैद्धांतिक रूप से विदेशों में यूरोपीय वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देती है।
      • लेकिन यूक्रेन में युद्ध के मद्देनज़र वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से सकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है, खासकर जर्मनी जैसे निर्यात-उन्मुख अर्थव्यवस्थाओं में।
    • डॉलर मूल्यवर्ग के ऋण जारी करने वाले देशों के लिये डॉलर के मुकाबले यूरो के मूल्य में गिरावट से ऋण चुकौती की लागत बढ़ जाती है।
  • केंद्रीय बैंक:
    • मुद्रास्फीति को बढ़ावा देकर यूरो की गिरावट यूरोपीय केंद्रीय बैंक को ब्याज़ दरों को और तेज़ी से बढ़ाने के लिये प्रेरित कर सकती है।
      • यह जुलाई 2022 में 11 वर्षों में पहली बार उधार लेने की लागत को सख्त करने की तैयारी कर रहा है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है? (2013)

(a) विदेशी मुद्रा संपत्ति, विशेष आहरण अधिकार और विदेशों से ऋण
(b) विदेशी मुद्रा संपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण और विशेष आहरण अधिकार
(c) विदेशी मुद्रा संपत्ति, विश्व बैंक से ऋण और विशेष आहरण अधिकार
(d) विदेशी मुद्रा संपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण और विश्व बैंक से ऋण

उत्तर: (b)

व्याख्या:

विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्तियांँ हैं।

  • आरबीआई के अनुसार, भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में शामिल हैं:
    • विदेशी मुद्रा संपत्ति
    • स्वर्ण
    • विशेष आहरण अधिकार
    • आईएमएफ के पास आरक्षित निधि की स्थिति
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू