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ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस

  • 26 Aug 2023
  • 4 min read

स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स

मच्छर जनित बीमारियाँ विश्व के विभिन्न हिस्सों में एक बड़ा खतरा बनी हुई हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका में ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस (EEE) वायरस की उपस्थिति से इस खतरे में और वृद्धि हो गई है।

  • हाल ही में अलबामा और न्यूयॉर्क में इस दुर्लभ वायरस से होने वाली बीमारी के मामले देखे गए हैं, जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस:

  • परिचय 
    • ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस (EEE) एक वायरल बीमारी है जिसके कारण मस्तिष्क में सूजन की समस्या होती है। यह संक्रमित मच्छर के काटने से लोगों और जानवरों में फैलती है।
      • EEE की पहचान पहली बार वर्ष 1831 में मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में घोड़ों में की गई थी।
  • कारण: EEE ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस वायरस (EEEV) के कारण होता है, जो जीनस अल्फावायरस (Genus Alphavirus) और टोगाविरिडे (Togaviridae) परिवार से संबंधित है।
    • EEE वायरस में सिंगल स्ट्रैंडेड, पॉजिटिव-सेंस वाला RNA जीनोम होता है।
    • EEEV मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों [विशेष रूप से कुलीसेटा मेलानुरा समूह (Culiseta Melanura Group) से संबंधित प्रजातियों] के काटने से फैलता है।
      • ये मच्छर मनुष्यों और घोड़ों (डेड-एंड होस्ट/Dead-End Hosts) सहित पक्षियों (रिज़र्वायर होस्ट/Reservoir Hosts) तथा स्तनधारियों को संक्रमित करते हैं।
      • यह वायरस मनुष्यों के बीच या घोड़ों जैसे जानवरों से मनुष्यों में नहीं फैलता है।
  • लक्षण: EEE से जुड़े लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जो अक्सर तेज़ी से बढ़ते हैं:
    • यह वायरस आमतौर पर तेज़ बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना और मतली से शुरू होता है।
    • जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है और गंभीर लक्षण उत्पन्न होने की  संभावना होती है, जिनमें दौरे, भटकाव और यहाँ तक कि कोमा भी शामिल है।
  • प्रभाव: 
    • लगभग 33% संक्रमित व्यक्ति जीवित नहीं बच पाते हैं, आमतौर पर लक्षण देखे जाने के 2 से 10 दिनों के बीच मृत्यु हो जाती है।
    • वायरस से बचे लोगों को लंबे समय तक न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, 50 वर्ष से ऊपर और 15 वर्ष से कम आयु वालों के इससे संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है।
  • उपचार: 
    • वर्तमान में ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
    • संक्रमण के खतरे को कम करने के लिये व्यक्तियों को कई एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी जाती है, जिसमें रिपेलेंट का उपयोग और सुरक्षात्मक कपड़े पहनकर मच्छरों के काटने से बचना शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में जीका वाइरस रोग उसी मच्छर द्वारा संचरित होता है जिससे डेंगू संचरित होता है।
  2. जीका वाइरस रोग का लैंगिक संचरण होना संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

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