द्वारका और बेट द्वारका | 17 Apr 2025
स्रोत: द हिंदू
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने गुजरात के द्वारका और बेट द्वारका में जलमग्न पुरातात्त्विक अवशेषों का पता लगाने के लिये एक वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया है।
- वर्ष 1963 से अब तक ASI की खोजों से जलमग्न संरचनाओं, पत्थर के घाटों, लंगरों (Anchors) और किलेबंद दीवारों का पता चलता है, जो एक समृद्ध प्राचीन बंदरगाह का संकेत देते हैं।
- द्वारका: कच्छ की खाड़ी के मुहाने पर स्थित द्वारका (जहाँ भगवान कृष्ण मथुरा छोड़ने के बाद बस गए थे) चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है।
- धार्मिक महत्त्व: किंवदंती के अनुसार, कृष्ण ने द्वारका की स्थापना के लिये समुद्र से भूमि पुनः प्राप्त की, जिससे यह गुजरात की पहली राजधानी बनी।
- इस शहर में द्वारकाधीश मंदिर (जगत मंदिर) स्थित है, जो एक प्रमुख कृष्ण भक्ति मंदिर है, जिसे महमूद बेगड़ा द्वारा नष्ट किये जाने के बाद 16 वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया गया था, तथा यहाँ शारदा पीठ भी है, जो आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पश्चिमी मठ है।
- बेयट (बेट) द्वारका: बेट द्वारका (शंखोद्धार) द्वीप, समुद्र तट से 30 किमी दूर स्थित है और ओखा बंदरगाह के माध्यम से यहाँ पहुँचा जा सकता है, महाभारत में इसकी पहचान अंतरद्वीप के रूप में की गई है।
- गुरु वल्लभाचार्य का संबंध इस द्वीप पर स्थित एक मंदिर से है।
- द्वीप पर उत्खनन से हड़प्पा और मौर्य काल के निवास स्थान का पता चलता है।
- मध्यकालीन समय में यह क्षेत्र बड़ौदा के गायकवाड़ के अधीन था, जिसे वर्ष 1857 में कुछ समय के लिये वाघेरों ने अपने अधीन कर लिया था।
- भारत के सबसे लंबे केबल-स्टेड ब्रिज, सुदर्शन सेतु का उद्घाटन वर्ष 2024 में किया गया, जिससे पहुँच में सुधार हुआ।
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