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पाक खाड़ी में डुगोंग संरक्षण रिज़र्व

  • 03 Mar 2022
  • 5 min read

हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने मन्नार की खाड़ी, पाक खाड़ी में डुगोंग के लिये भारत के पहले संरक्षण रिज़र्व की स्थापना करने का निर्णय लिया है।

  • यह भारत को डुगोंग संरक्षण के संबंध में दक्षिण एशिया उप-क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र के रूप में कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है।

डुगोंग

  • परिचय:
    • डुगोंग (Dugong dugon) जिसे 'सी काउ (Sea Cow)' भी कहा जाता है, सिरेनिया (Sirenia) श्रेणी की चार जीवित प्रजातियों में से एक है तथा यह शाकाहारी स्तनपायी की एकमात्र मौजूदा प्रजाति है जो भारत सहित भारत के समुद्र में विशेष रूप से रहती हैं।
    • डुगोंग समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और इनकी आबादी में कमी का प्रभाव खाद्य शृंखला पर पड़ेगा।
  • वितरण और पर्यावास: वे 30 से अधिक देशों में पाए जाते हैं तथा भारत में मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, पाक खाड़ी और अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में देखे जा सकते हैं।
  • संरक्षण की स्थिति:
  • खतरा:
    • डुगोंग समुद्री घास खाते हैं और दुनिया के कई हिस्सों में समुद्र तल ट्रॉलिंग के कारण समुद्री घास का हो रहा नुकसान डुगोंग आबादी में कमी के पीछे सबसे महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक है।
      • ट्रॉलिंग मछली पकड़ने का एक तरीका है, जिसमें एक या एक से अधिक नावों के पीछे पानी के माध्यम से मछली पकड़ने का जाल खींचा जाता है।
      • यह पर्यावरण के लिये हानिकारक है, क्योंकि यह समुद्र तल, प्रवाल भित्तियों और अन्य समुद्री जानवरों को नुकसान पहुँचाता है।
    • मानव गतिविधियाँ जैसे कि आवास स्थान की क्षति, प्रदूषण, व्यापक पैमाने पर अवैध मत्स्य पालन गतिविधियाँ या अवैध शिकार और अनियोजित पर्यटन डुगोंग के लिये मुख्य खतरे हैं।
      • डुगोंग का मांस इस गलत धारणा के तहत सेवन किया जाता है कि यह मानव शरीर के तापमान को कम करता है।
  • संरक्षण हेतु उठाए गए कदम:
    • फरवरी, 2020 में ‘वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण’ (Conservation of Migratory Species of Wild Animals-CMS) की शीर्ष निर्णय निर्मात्री निकाय ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़’ (Conference of the Parties- COP) के 13वें सत्र का आयोजन किया गया।
      • भारत सरकार वर्ष 1983 से CMS का हस्ताक्षरकर्त्ता देश है। भारत ने साइबेरियन क्रेन (वर्ष 1998), मरीन टर्टल ( वर्ष 2007), डुगोंग (वर्ष 2008) और रैप्टर (वर्ष 2016) के संरक्षण एवं प्रबंधन पर CMS के साथ गैर- बाध्यकारी कानूनी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारत में 'यूएनईपी/सीएमएस डुगोंग एमओयू' के कार्यान्वयन और डगोंग संरक्षण से संबंधित मुद्दों पर गौर करने हेतु 'डुगोंग के संरक्षण के लिये कार्य बल' का गठन किया।

संरक्षण रिज़र्व:

  • संरक्षण रिज़र्व और सामुदायिक रिज़र्व देश के उन संरक्षित क्षेत्रों को दर्शाते हैं जो आमतौर पर स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षित तथा संरक्षित जंगलों के मध्य बफर ज़ोन या कनेक्टर्स के रूप में कार्य करते हैं।
  • ऐसे क्षेत्रों को संरक्षण क्षेत्रों के रूप में नामित किया जाता है जो निर्जन (Uninhabited) और पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में हैं, लेकिन समुदायों एवं सामुदायिक क्षेत्रों द्वारा निर्वाह के लिये इनका उपयोग किया जाता है यदि भूमि का हिस्सा निजी स्वामित्व में है।
  • इन संरक्षित क्षेत्र श्रेणियों को पहली बार वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2002 (वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन) में पेश किया गया था।
  • इन श्रेणियों को भूमि और भूमि के उपयोग के निजी स्वामित्व के कारण मौजूदा व प्रस्तावित संरक्षित क्षेत्रों में कम सुरक्षा की वजह से जोड़ा गया था।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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