लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक (D-SIBs)

  • 16 Nov 2024
  • 6 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय स्टेट बैंक, HDFC बैंक और ICICI बैंक को घरेलू प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक (D-SIBs) के रूप में बरकरार रखा है

  • रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIBs के रूप में नामित किया, तथा HDFC बैंक वर्ष 2017 में उनके साथ शामिल हो गया।

D-SIBs के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • D-SIBs के बारे में: D-SIBs वे बैंक हैं जिन्हें उनके आकार, जटिलता और वित्तीय प्रणाली के साथ  अंतर्संबंधों के कारण घरेलू अर्थव्यवस्था में 'टू बिग टु फेल' (Too Big to Fail- TBTF) माना जाता है।
    • इन बैंकों को उनके असफल होने पर उत्पन्न होने वाले संभावित आर्थिक व्यवधान के आधार पर वर्गीकृत किया गया है ।
  • महत्त्व: वित्तीय संकटों को सहने की अपनी क्षमता और सुधार करने के लिये, D-SIBs को अतिरिक्त विनियामक आवश्यकताओं जैसे पूंजी बफर, स्ट्रेस टेस्ट और पुनर्प्राप्ति एवं समाधान रणनीतियों के अधीन होना पड़ता है।
  • बकेटिंग स्ट्रक्चर: D-SIBs को उनके प्रणालीगत महत्त्व स्कोर के आधार पर विभिन्न बकेट में वर्गीकृत किया जाता है । 
    • बकेट 1 सबसे कम जोखिम, जबकि बकेट 4 सबसे अधिक जोखिम का प्रतिनिधित्व करता है ।
    • RBI ने SBI को बकेट 4 में, HDFC बैंक को बकेट 3 में तथा ICICI बैंक को बकेट 1 में रखा है।
  • पूंजीगत आवश्यकताएँ: जिस बकेट में D-SIBs रखा गया है, उसके आधार पर उस पर एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी आवश्यकता लागू की जानी चाहिये।
    • SBI के लिये अतिरिक्त 0.80% कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET 1), HDFC बैंक के लिये 0.40% और ICICI बैंक के लिये 0.20% आवश्यक है
  • चयन प्रक्रिया: RBI, D-SIBs की पहचान के लिये दो-चरणीय प्रक्रिया का पालन करता है।
    • नमूना चयन: सभी बैंकों का मूल्यांकन नहीं किया जाता है। केवल आकार के आधार पर महत्त्वपूर्ण प्रणालीगत महत्त्व वाले बैंकों (GDP के 2% से अधिक संपत्ति वाले बैंक) पर विचार किया जाता है।
    • प्रणालीगत महत्त्व मूल्यांकन: प्रतिस्थापनीयता की कमी, अंतर्संबंधता आदि जैसे संकेतकों के आधार पर प्रत्येक बैंक के लिये एक समग्र स्कोर की गणना की जाती है, तथा एक निश्चित सीमा से अधिक स्कोर वाले बैंकों को D-SIBs के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • D-SIBs के लिये रूपरेखा: जुलाई 2014 में, RBI ने एक रूपरेखा जारी की थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि D-SIBs के पास घाटे को कवर करने के लिये पर्याप्त पूंजी हो, ताकि प्रणालीगत व्यवधान को रोका जा सके।
  • वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक (G-SBI): G-SBI बड़े अंतर्राष्ट्रीय बैंक हैं जिनकी विफलता का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ता है। 
    • वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB), बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति (BCBS) तथा राष्ट्रीय प्राधिकरणों के परामर्श से G-SBI की पहचान करता है।
    • वर्ष 2023 तक, JP मॉर्गन चेस, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप, HSBC, एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना, बैंक ऑफ चाइना, बार्कलेज और BNP पारिबा सहित 29 G-SBI हैं।

नोट: 

  • कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) में नकदी और स्टॉक जैसी लिक्विड बैंक होल्डिंग्स शामिल हैं। CET1 एक पूंजी उपाय है जिसे वर्ष 2014 में अर्थव्यवस्था को वित्तीय संकट से बचाने के लिये एहतियाती उपाय के रूप में पेश किया गया था।
  • FSB एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली की निगरानी करता है तथा उसके बारे में सिफारिशें करता है ।
  • FSB की स्थापना वर्ष 2009 में G-20 के तत्त्वावधान में की गई थी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न    

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) वह राशि है जिसे बैंकों को अपनी निधियों के रूप में रखना होता है जिससे वे, यदि खाता-धारकों द्वारा देयताओं का भुगतान नहीं करने से कोई हानि होती है, तो  उसका प्रतिकार कर सकें।
  2.  CAR का निर्धारण प्रत्येक बैंक द्वारा अलग-अलग किया जाता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (a) 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2