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भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता का पतन

  • 08 Oct 2024
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

स्कॉलर्स एट रिस्क (SAR) अकादमिक स्वतंत्रता निगरानी परियोजना की "फ्री टू थिंक 2024" वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले एक दशक में भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता में चिंताजनक गिरावट आई है।

  • शैक्षणिक स्वतंत्रता से तात्पर्य बिना किसी हस्तक्षेप के ज्ञान प्राप्त करने और अनुसंधान करने के अधिकार से है, जो विचारों के खुले आदान-प्रदान का समर्थन करता है तथा शैक्षणिक अखंडता की रक्षा करता है।

नोट: SAR, 665 विश्वविद्यालयों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जो शैक्षणिक समुदायों, विद्वानों और छात्रों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ जागरूकता और समर्थन करने के प्रयास में उच्च शिक्षा के विरुद्ध हमलों की जाँच और रिपोर्ट करता है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • शैक्षणिक स्वतंत्रता में उल्लेखनीय गिरावट: रिपोर्ट के अनुसार, भारत का शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक में वर्ष 2013 और 2023 के बीच 0.6 से 0.2 अंक तक की गिरावट दर्ज की गई है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक (AFI) के अनुसार, भारत अब "पूर्णतः प्रतिबंधित (Completely Restricted)" श्रेणी में है, जो 1940 के दशक के मध्य के बाद से इसका सबसे कम स्कोर है।
  • भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिये मुख्य खतरे:
    • राजनीतिक नियंत्रण: रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों में राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करने तथा बहुसंख्यकवादी धार्मिक एजेंडा लागू करने के बढ़ते प्रयासों का हवाला दिया गया है।
    • विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (SAU) जैसे विश्वविद्यालयों में नई नीतियों ने छात्र विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे छात्रों की अभिव्यक्ति और सक्रियता कमज़ोर हो रही है।
      • शैक्षणिक स्वतंत्रता पर भी प्रतिबंध लगाये गए हैं, जिससे स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति सीमित हो गयी है।
    • केंद्र बनाम राज्य सरकार संघर्ष: उच्च शिक्षा पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के मध्य चल रहा संघर्ष स्पष्ट है, विशेष रूप से केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में।
      • ऐसे संघर्षों के परिणामस्वरूप प्रतिबंधात्मक नीतियाँ बनती हैं जो स्वतंत्र संस्थागत स्वायत्तता को सीमित तथा शैक्षणिक स्वतंत्रता को बाधित कर सकती हैं।
    • शिक्षाविदों को खतरा: धमकी मिलने या खतरे के भय की घटनाओं के कारण महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्य वापस ले लिये गए या त्यागपत्र दे दिये गए, जिससे शैक्षणिक अखंडता से समझौता हुआ तथा उच्च शिक्षा के विद्वानों के बीच आत्म-सेंसरशिप को बढ़ावा मिला है।
  • वैश्विक संदर्भ: रिपोर्ट में 51 देशों में उच्च शिक्षा समुदायों पर हुए 391 हमलों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है, जो शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिये खतरों के व्यापक वैश्विक मुद्दे पर प्रकाश डालता है।

शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक 

  • AFI पाँच संकेतकों के आधार पर दुनिया भर में अकादमिक स्वतंत्रता के वास्तविक स्तरों का आकलन करता है। AFI वर्तमान में 179 देशों (भारत सहित) और क्षेत्रों को कवर करता है, तथा अकादमिक स्वतंत्रता के विषय पर सबसे व्यापक डेटासेट प्रदान करता है।
    • पाँच संकेतक: शोध और शिक्षा की स्वतंत्रता, अकादमिक विनिमय और प्रसार की स्वतंत्रता, संस्थागत स्वायत्तता, परिसर अखंडता, शैक्षणिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • AFI परियोजना, वर्ष 2017 में कॉल्न (Cologne) में एक विशेषज्ञ परामर्श के साथ शुरू हुई थी, जिसे फ्रिट्ज़ थिसेन फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जिसका पहला संस्करण वर्ष 2020 में जारी किया गया था।
  • AFI किसी देश में शैक्षणिक स्वतंत्रता की डिग्री को मापने के लिये  0 (निम्न) से 1 (उच्च) तक के पैमाने का उपयोग करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)

  1. राज्य नीति के निदेशक तत्त्व 
  2. ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय 
  3. पाँचवीं अनुसूची 
  4. छठी अनुसूची 
  5. सातवीं अनुसूची

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:

(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 3, 4 और 5
(c)केवल 1, 2 और 5
(d)1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (d)

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