प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रगान पर बहस
- 10 Jan 2025
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स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
तमिलनाडु के राज्यपाल, अपने निर्धारित अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान न बजाए जाने का हवाला देते हुए वर्ष 2025 सत्र के पहले दिन अपना अभिभाषण दिये बिना ही विधानसभा से चले गए।
- इससे राज्य विधानमंडल में अपनाई जाने वाली औपचारिक प्रथाओं को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है।
राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत
- जन-गण-मन (राष्ट्रगान) गीत मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बांग्ला भाषा में रचित (1911 में) था। इसे हिंदी में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
- इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।
- भारत का राष्ट्रीय गीत " वंदे मातरम" है, जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।
- यह गीत पहली बार वर्ष 1870 में लिखा गया था और बाद में वर्ष 1882 में उनके उपन्यास "आनंद" में यह शामिल हुआ। इसे पहली बार वर्ष 1896 के INC अधिवेशन में गाया गया था।
- यह एक देशभक्ति गीत है जो भारत माता के प्रति श्रद्धा दर्शाने के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा स्रोत था।
- भारत के राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान दोनों को संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
राष्ट्रगान बजाने के लिये प्रोटोकॉल और परंपराएँ क्या हैं?
- संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण: राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान, राष्ट्रपति के मंच पर पहुँचने पर राष्ट्रगान बजाया जाता है। उसके बाद राष्ट्रपति अपना अभिभाषण देते हैं और फिर जब राष्ट्रपति जुलूस के साथ सदन से बाहर निकलते हैं तो फिर से राष्ट्रगान बजाया जाता है।
- राज्य विधानमंडल में राज्यपाल का अभिभाषण: भारत में विभिन्न राज्य विधानमंडल, अपने सत्रों के दौरान राष्ट्रगान बजाने के संबंध में अपनी-अपनी परंपराओं का पालन करते हैं।
- नागालैंड: यहाँ कई दशकों से राष्ट्रगान नहीं बजाया गया था और इसे पहली बार फरवरी 2021 में बजाया गया था।
- त्रिपुरा: त्रिपुरा विधानसभा में राष्ट्रगान पहली बार मार्च 2018 में बजाया गया था, जो इसकी औपचारिक प्रथाओं में हाल ही में हुए बदलाव को दर्शाता है।
- तमिल: इसमें एक अनूठी परंपरा का पालन किया जाता है, जहाँ राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राज्य गान, तमिल थाई वझु बजाया जाता है, और अंत में राष्ट्रगान बजाया जाता है।
- यह प्रथा वर्ष 1991 में शुरू की गई थी, इससे पहले राज्यपाल केवल प्रवेश करते थे, अभिभाषण देते थे और ऐसी औपचारिक प्रथाओं के बिना चले जाते थे।
सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना
- श्याम नारायण चौकसे बनाम भारत संघ (2018) के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2016 में एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें भारत के सभी सिनेमाघरों को फिल्मों की शुरुआत से पहले राष्ट्रगान बजाने का निर्देश दिया गया था, जिसमें उपस्थित लोगों को खड़ा होना आवश्यक था।
- हालाँकि, जनवरी 2018 में अपने अंतिम निर्णय में न्यायालय ने अपना रुख संशोधित करते हुए कहा कि सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक है।
राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिये क्या उपाय हैं?
- संवैधानिक सिद्धांत:
- मौलिक कर्त्तव्यों से संबंधित भारतीय संविधान की धारा 51 (A) (a) में कहा गया है कि “भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।”
- राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण (PINH) अधिनियम, 1971:
- PINH अधिनियम में राष्ट्रगान का अनादर करने और इसके प्रतिबंधों को तोड़ने पर कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें 3 वर्ष तक का कारावास या ज़ुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- PINH अधिनियम, 1971 के तहत राष्ट्रगान के गायन को रोकने जैसे अपराधों के लिये दोषी ठहराए गए व्यक्ति को 6 साल की अवधि के लिये संसद और राज्य विधानसभाओं के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- गृह मंत्रालय (MHA) के निर्देश:
- गृह मंत्रालय ने नागरिक और सैन्य अलंकरण, राष्ट्रीय सलामी, परेड, औपचारिक समारोहों, राष्ट्रपति और राज्यपाल के आगमन/प्रस्थान के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज की परेड और नौसेना ध्वज फहराने के दौरान पूरा राष्ट्रगान बजाने का आदेश दिया है।
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