स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि | 05 Jul 2024

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

प्रत्येक वर्ष 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। उन्हें आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है और उन्हें 19वीं सदी के अंत में अंतर-धार्मिक जागरूकता बढ़ाने तथा हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म का दर्जा दिलाने का श्रेय भी दिया जाता है।

स्वामी विवेकानंद के संबंध में प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय: विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ और उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।
    • वर्ष 1893 में खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने 'विवेकानंद' नाम अपनाया।
    • उन्होंने विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया।
    • वर्ष 1902 में बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हुई। पश्चिम बंगाल में स्थित बेलूर मठ, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है।
    • प्रत्येक वर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाई जाती है।
  • आध्यात्मिक योगदान:
    • वह भारत के महानतम आध्यात्मिक नेताओं और बुद्धिजीवियों में से एक थे तथा रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे।
    • मानवीय मूल्यों के संबंध में विश्व को विवेकानंद का संदेश उपनिषदों और गीता की शिक्षाओं के साथ-साथ बुद्ध तथा ईसा द्वारा स्थापित उदाहरणों पर आधारित है।
      • उनका मिशन परमार्थ (सेवा) और व्यवहार (व्यवहार) के बीच, साथ ही आध्यात्मिकता तथा दैनिक जीवन के बीच की खाई को पाटना था।
      • उन्होंने सेवा के सिद्धांत का समर्थन किया। जीव (जीवों) की सेवा करना शिव की पूजा मानी जाती है।
    • वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनके ऐतिहासिक भाषण ने पश्चिमी दुनिया को हिंदू दर्शन (नव-हिंदू धर्म) से परिचित कराया।
    • उन्होंने हमारी मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर ज़ोर दिया। उन्होंने मानव-निर्माण और चरित्र-निर्माण वाली शिक्षा की वकालत की।
    • उन्होंने अपनी पुस्तकों में सांसारिक सुख और आसक्ति से मोक्ष प्राप्त करने के चार मार्ग बताए- राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग तथा भक्तियोग
    • उन्होंने सेवा, शिक्षा और आध्यात्मिक उत्थान के आदर्शों के प्रचार के लिये वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

रामकृष्ण मिशन

  • रामकृष्ण मिशन व्यापक शिक्षा-संबंधी और लोकोपकारी कार्यों में संलग्न है तथा भारतीय दर्शन के संप्रदाय अद्वैत वेदांत के आधुनिक संस्करण का अनुकरण करता है।
  • रामकृष्ण मिशन के दो उद्देश्य थे:
    • संन्यास और आध्यात्मिक जीवन के लिये प्रतिबद्ध भिक्षुओं को संगठित करना जो वेदांत के सार्वभौमिक संदेश का प्रसार कर सके।
    • जाति, पंथ या रंग की परवाह किये बिना सभी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को ईश्वर की सच्ची अभिव्यक्ति के रूप में देखते हुए लोकोपकारी तथा धर्मार्थ गतिविधियों में संलग्न होना।
  • मिशन की स्थापना वर्ष 1897 में विवेकानंद द्वारा कोलकाता के पास संत रामकृष्ण (वर्ष 1836-86) के जीवन में सन्निहित वेदांत की शिक्षाओं का प्रसार करना और भारतीय लोगों की सामाजिक स्थितियों में सुधार करने के दोहरे उद्देश्य के साथ की गई थी।
  • आदर्श वाक्य: "आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च" ("आत्मा का मोक्ष और जगत का कल्याण")।