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DDT स्तर में गिरावट, POP स्तर में वृद्धि

  • 21 Jun 2024
  • 3 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

एक हालिया अध्ययन के अनुसार, कठोर अंतर्राष्ट्रीय नियमों के परिणामस्वरूप वर्ष 2004 से वर्तमान तक मानवीय आबादी एवं पर्यावरण में 11 अतिरिक्त स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (POP) के साथ डाइक्लोरो-डाइफेनिल-ट्राइक्लोरोइथेन (DDT) कीटनाशक में उल्लेखनीय कमी हुई है।

  • अन्य POP एवं समान गुणों वाले प्रतिबंधित घातक POP के प्रतिस्थापन की संख्या उच्च स्तर तक बढ़ गई है।
    • कार्बनिक यौगिक (अर्थात् कार्बन-आधारित) रासायनिक विघटन, जैविक प्रक्रियाओं एवं सूर्य के प्रकाश जैसी पर्यावरणीय प्रक्रियाओं द्वारा क्षरण का प्रतिरोध करते हैं। वे पर्यावरण में दशकों एवं सदियों तक लंबे समय तक बने रह सकते हैं।
    • वे कैंसर, यकृत क्षति, प्रजनन क्षमता में कमी, तथा अस्थमा और थायरॉयड के उच्च जोखिम का कारण बन सकते हैं क्योंकि वे अंतःस्रावी तंत्र को बाधित कर सकते हैं।
  • POP के लिये वैश्विक निगरानी योजना को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा क्रियान्वित किया गया है तथा वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
  • यह अध्ययन अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियन तथा प्रशांत द्वीप समूह के 42 देशों में स्टॉकहोम अभिसमय के अंर्तगत वर्ष 2021 तक सूचीबद्ध 30 POP की निगरानी एवं सीमित डेटा के लिये किया गया था।
    • स्टॉकहोम अभिसमय (2001) एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संधि है जो वर्ष 2004 से प्रभावी है जिसका उद्देश्य POP के उत्पादन एवं उपयोग को समाप्त करना अथवा प्रतिबंधित करना है।
  • DDT, 1940 के दशक में विकसित पहला आधुनिक सिंथेटिक कीटनाशक है जो रंगहीन, स्वादहीन एवं गंधहीन यौगिक है।
    • कुछ देशों (जैसे दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, बोत्सवाना, ज़िम्बाब्वे) में अभी भी इसका उपयोग कठोर नियमों के अंर्तगत मलेरिया नियंत्रण के लिये किया जाता है।

और पढ़ें… मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के लिये दक्षिण अफ्रीका को DDT की आपूर्ति

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