प्रारंभिक परीक्षा
चलन में मौजूद मुद्रा
- 04 Jan 2023
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वर्ष 2016 में सरकार द्वारा विमुद्रीकरण की घोषणा के लगभग छह वर्ष और दो महीने बाद चलन में मौजूद मुद्रा एक नई ऊँचाई (विमुद्रीकरण की घोषणा से पहले के दिनों की तुलना में 74% की वृद्धि) पर है।
- चलन में मौजूद मुद्रा की कुल राशि में से बैंक नकदी घटाने के बाद जनता के पास मुद्रा की मात्रा निर्धारित की जाती है।
- भले ही सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने "कैशलेस सोसाइटी" के लिये अभियान चलाया, डिजीटल भुगतान एवं विभिन्न लेन-देन में नकदी के उपयोग पर सीमाएँ भी निर्धारित कीं परंतु नकदी की मात्रा में वृद्धि हो ही रही है।
चलन में मुद्रा:
- चलन में मौजूद मुद्रा से तात्पर्य एक देश के भीतर उस नकदी या मुद्रा से है जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच लेन-देन करने के लिये भौतिक रूप से उपयोग की जाती है।
- चलन में मौजूद मुद्रा देश की मुद्रा आपूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक प्राधिकरण चलन में भौतिक मुद्रा (physical currency) की मात्रा पर नज़र रखते हैं क्योंकि यह सबसे अधिक तरल संपत्तियों में से एक का प्रतिनिधित्त्व करती है।
- चलन में मौजूद मुद्रा के अंतर्गत नोट, रुपए के सिक्के और छोटे सिक्के शामिल हैं।
- करेंसी नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार RBI के पास है। सिक्कों को जारी करने का प्राधिकार भारत सरकार के पास है और मांग के आधार पर यह रिज़र्व बैंक को सिक्कों की आपूर्ति करती है।
मुद्रा आपूर्ति:
- यह ध्यान देने योग्य है कि मुद्रा का कुल स्टॉक मुद्रा की कुल आपूर्ति से भिन्न होता है।
- मुद्रा की आपूर्ति मुद्रा के कुल भंडार का केवल वह भाग है जो किसी समय विशेष पर जनता के पास होती है।
- चलन में जो धन शामिल होता है उसमें मुद्रित नोट, जमा खातों में धन और अन्य तरल संपत्तियाँ होती हैं।
- आरबीआई मुद्रा आपूर्ति के चार वैकल्पिक उपायों के लिये आँकड़े प्रकाशित करता है, अर्थात् M1, M2, M3 और M4।
- M1 = CU + DD
- M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमा
- M3 = M1 + वाणिज्यिक बैंकों में शुद्ध सावधि जमा
- M4 = M3 + डाकघर में कुल जमा (सावधि जमा+आवर्ती जमा) (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्रों को छोड़कर)
- CU जनता द्वारा धारित मुद्रा (नोट+सिक्के) है और DD वाणिज्यिक बैंकों द्वारा धारित शुद्ध मांग जमा है।
- 'नेट' शब्द का तात्पर्य है कि बैंकों द्वारा रखी गई जनता की जमा राशि को ही मुद्रा आपूर्ति में शामिल किया जाना है।
- जब एक वाणिज्यिक बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों में इंटरबैंक डिपॉज़िट रखता है, तो इसे मुद्रा की आपूर्ति का हिस्सा नहीं माना जाता है।
- M1 और M2 को संकुचित मनी (नैरो मनी) कहा जाता है। M3 और M4 को विस्तृत मनी (ब्रॉड मनी) के रूप में जाना जाता है।
- ये श्रेणियाँ तरलता के घटते क्रम में हैं।
- M1 लेन-देन के लिये सबसे अधिक तरल और आसान है, जबकि M4 सबसे कम तरल है।
- M3 पैसे की आपूर्ति का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपाय है। इसे कुल मौद्रिक संसाधनों के रूप में भी जाना जाता है।
प्रश्न. निम्नलिखित उपायों में से किसके/किनके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होगी? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (C) सही है। प्रश्न. यदि आप अपने बैंक में अपने मांग जमा खाते से 1,00,000 रुपए नकद निकालते हैं, तो अर्थव्यवस्था में कुल धन आपूर्ति पर तत्काल क्या प्रभाव पड़ेगा? (2020) (a) यह 1,00,000 रुपए से कम होगा उत्तर: (d) |