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कुकुंबर मोजेक वायरस और RNA साइलेंसिंग

  • 29 Apr 2025
  • 10 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

एक जर्मन अनुसंधान दल ने "प्रभावी डबल-स्ट्रैंडेड राइबोन्यूक्लिक एसिड (dsRNA)" विकसित किया है, जो शक्तिशाली स्माल इंटरफेरिंग RNA (siRNA) से समृद्ध है, जो कि कुकुंबर मोजेक वायरस (CMV) जैसे विषाणुओं के विरुद्ध पादपों की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। इस विधि ने पारंपरिक तरीकों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए CMV वायरल लोड को 80% तक कम कर दिया।

  • यह नवाचार वायरस का सटीक पता लगाने और उसे निष्प्रभावी करने के लिये RNA साइलेंसिंग, एक प्राकृतिक पादप प्रतिरक्षा का उपयोग किया गया है।

कुकुंबर मोजेक वायरस क्या है?

  • परिचय: CMV सबसे आम और विश्व स्तर पर प्रचलित पादप विषाणुओं में से एक है। यह ब्रोमोविरिडे परिवार (Bromoviridae family) में कुकुमोवायरस (Cucumovirus) जीनस से संबंधित है।
    • यह अपने विस्तृत मेज़बान (Host) क्षेत्र के लिये जाना जाता है, यह सब्जियों, अनाज, सजावटी पादपों और औषधीय पादपों सहित 1,200 से अधिक पादपों की प्रजातियों को प्रभावित करता है।
  • लक्षण: CMV के कारण पादपों की पत्तियों पर पीले धब्बे (अनियमित, हल्के धब्बे या धारियाँ), विकृत या मोजेक पैटर्न वाली पत्तियाँ और अवरुद्ध विकास होता है।
    • लक्षण आमतौर पर न केवल खीरे में बल्कि खरबूजे, केले, कद्दू और अन्य बगीचे के पादपों में भी देखे जाते हैं।
  • संचरण: यह मुख्य रूप से एफिड्स जैसे रस चूसने वाले कीटों के माध्यम से फैलता है। लगभग 90 एफिड प्रजातियाँ वायरस को संचारित करने में सक्षम हैं, जिससे रोकथाम मुश्किल हो जाती है।
    • एफिड्स छोटे, मुलायम शरीर वाले कीड़े होते हैं जो अपने संकीर्ण मुंह का इस्तेमाल पौधों के तने और पत्तियों से तरल पदार्थ चूसने के लिये करते हैं। ये सुपरफैमिली एफिडोइडिया से संबंधित हैं।
  • भारत पर प्रभाव: भारत में, CMV के कारण केले की फसल में 25-30% तक उपज की हानि होती है, तथा कद्दू, खीरे और खरबूजे में 70% तक संक्रमण होता है।
    • CMV से संक्रमित पौधों में मोजेक रंग का विकृत रूप, अवरुद्ध विकास, तथा विकृत फल दिखाई देते हैं; अभी तक इसका कोई मान्यता प्राप्त उपचार नहीं है।

नोट: खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, पादपों के कीट और रोग विश्व की वार्षिक फसल का लगभग 40% नष्ट कर देते हैं, जिससे विश्व को 220 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान होता है। इसमें से, अकेले पादपों के वायरस प्रत्येक वर्ष 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के नुकसान का कारण बनते हैं।

पादपों में RNA साइलेंसिंग क्या है?

  • RNA साइलेंसिंग पादपों में एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र है, जो उन्हें वायरस से लड़ने में मदद करता है
  • जब कोई वायरस किसी पौधे को संक्रमित करता है, तो वह डबल-स्ट्रैंडेड RNA (dsRNA) का प्रवेश कराता है, जो पौधे की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रतिक्रिया करने के लिये संकेत देता है।
  • RNA साइलेंसिंग की कार्यप्रणाली: जब कोई वायरस किसी पौधे को संक्रमित करता है, तो पौधा डाइसर जैसे एंज़ाइम (DCL) को सक्रिय करता है।
  • DCL dsRNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर देते हैं, जिन्हें छोटे इंटरफेरिंग RNAs (siRNAs) कहते हैं। 
  • ये siRNAs पौधे की रक्षा प्रणाली को वायरल RNA को पहचानने और नष्ट करने में मार्गदर्शन करते हैं, जिससे संक्रमण फैलने से रोका जा सके।
  • RNA साइलेंसिंग की सीमाएं: पौधे द्वारा उत्पन्न सभी siRNA वायरस से लड़ने में प्रभावी नहीं होते हैं।
    • CMV तेज़ी से उत्परिवर्तित होता है, जो प्रायः पौधे की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली से अप्रभावित रह जाता है, जिससे इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता कम हो जाती है।
  • मानव द्वारा विकसित RNA साइलेंसिंग प्रौद्योगिकियाँ:
    • पोषद-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (HIGS): इसमें पादपों को आनुवंशिक रूप से रूपांतरित कर वायरस से सुरक्षा प्रदान करने वाले dsRNA का उत्पादन होता है, जिससे निरंतर सुरक्षा मिलती है। 
      • हालाँकि, इसका उपयोग विनियमन, उच्च लागत और संभावित वायरल प्रतिरोध के कारण सीमित है।
    • स्प्रे-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (SIGS): यह एक बेहतर विकल्प है जिसमें पादपों को RNA स्प्रे से उपचारित किया जाता है। इससे आनुवंशिक रूपांतरण के बिना पौधे की प्रतिरक्षा अनुक्रिया सक्रिय होती है। 
      • SIGS लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित है, क्योंकि परंपरागत dsRNA फॉर्मूलेशन से siRNAs के यादृच्छिक मिश्रण उत्पन्न होते हैं, जिनमें से अनेक वायरस से प्रभावी रूप से सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020)

(a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग
(b) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण
(c) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूूणों में विकास
(d) संतान में सूत्रकणिका रोगों का निरोध

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण/प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर में प्रोन्यूक्लियर का एक युग्मनज से दूसरे युग्मनज में स्थानांतरण होता है। इस तकनीक के लिये पहले स्वस्थ दान किये गए अंडे (सूत्रकणिका दाता द्वारा प्रदान किया गया) के निषेचन की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही इच्छुक माँ के प्रभावित अंडाणुओं को इच्छुक पिता के शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है।
  • 'मैटरनल स्पिंडल ट्रांसफर' नामक एक तकनीक का उपयोग करके मातृ DNA को दाता महिला के अंडे में डाला जाता है, जिसे बाद में पिता के शुक्राणु का उपयोग करके निषेचित किया जाता है। यह प्रक्रिया मौजूदा इन-विट्रो-फर्टिलाइज़ेशन (IVF) उपचारों में सहायता के लिये विकसित की गई थी, जिसमें माताओं को माइटोकॉन्ड्रियल रोग होते हैं।
  • मातृ DNA में उत्परिवर्तन सूत्रकणिका वाले रोग का एक कारण है, रोगों का एक विषम समूह कभी-कभी शैशवावस्था या बचपन में भी समय से पहले मृत्यु का कारण बन सकता है । अधिकांश माइटोकॉन्ड्रियल रोगों में विशिष्ट उपचार की कमी होती है और जिन महिलाओं में प्रेरक उत्परिवर्तन होता है, उनकी संतानों में रोग फैलने का खतरा अधिक होता है। अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

प्रश्न. प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची।
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक-ठीक पहचान के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक।
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क-प्रतिरोधी बनाता है।
(d) आनुवंशिकत: रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ।

उत्तर: (a)


प्रश्न.  विज्ञान में हुए अभिनव विकासों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? (2019)  

(a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिये गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते है।
(b)  प्रयोगशालाओं में कृत्रिम प्रकार्यात्मक DNA के हिस्से रचे जा सकते हैं।  
(c) किसी जंतु कोशिका से निकाले गए DNA के किसी हिस्से को जीवित कोशिका से बाहर प्रयोगशाला में, प्रतिकृत कराया जा सकता है।  
(d) पादपों और जंतुओं से निकाली गई कोशिकाओं में प्रयोगशाला की पेट्री डिश में कोशिका विभाजन कराया जा सकता है।

उत्तर: (a)

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