क्रायो-बॉर्न बेबी कोरल | 13 Jan 2025
स्रोत: ओसियनोग्राफिक मैगज़ीन
विश्व के पहले क्रायो-बॉर्न बेबी कोरल को ग्रेट बैरियर रीफ में सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया गया है, जो कोरल / प्रवाल पुनरुद्धार और उनके संरक्षण में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने ग्रेट बैरियर रीफ से एकत्रित क्रायोप्रिज़र्व्ड शुक्राणुओं से कोरल एग्स को निषेचित करने के लिये अत्याधुनिक क्रायोप्रिज़र्वेशन का उपयोग किया।
- वैज्ञानिकों ने कोरल को राष्ट्रीय समुद्री सिम्युलेटर में उगाया और फिर उन्हें रीफ / भित्ति पर विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए 'कोरल क्रेडल्स' में हस्तांतरित कर दिया।
- इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्री तापमान से भित्तियों के संरक्षण के लिये ताप-सहिष्णु प्रवाल विकसित करना है।
- ऑस्ट्रेलिया स्थित क्रायोडायवर्सिटी बैंक के पास 32 प्रजातियों के फ्रोज़ेन कोरल शुक्राणुओं का विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है, जिसे वर्ष 2011 से प्रतिवर्ष एकत्र किया जाता है।
- कोरल रीफ / प्रवाल भित्तियाँ: प्रवाल एन्थोज़ोआ वर्ग, निडारिया संघ से संबंधित अकशेरुकी हैं।
- रीफ का निर्माण पॉलिप्स की कॉलोनियों द्वारा होता है, जो चूना पत्थर के कंकालों का स्राव करते हैं और पोषण हेतु सहजीवी शैवाल (ज़ूक्सैन्थेला) पर निर्भर रहते हैं।
- सॉफ्ट कोरल ऐसी प्रजातियाँ हैं, जो कोरल रीफ निर्माण के लिये ज़रूरी कैल्शियम कार्बोनेट कंकाल का उत्पादन नहीं करती हैं। केवल कठोर कोरल ही रीफ का निर्माण करते हैं।