रियायती कर दर व्यवस्था | 13 Apr 2022
हाल के सरकारी आँकड़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सितंबर 2019 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित रियायती कॉर्पोरेट कर की दर (Concessional Corporate Tax Rate) में वर्ष 2019-20 (अप्रैल-मार्च) में शामिल हर पाँच नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों में से दो ने 15% कर की दर को कम करने के विकल्प को चुना है।
निगम कर/कॉर्पोरेट कर:
- निगम कर एक प्रत्यक्ष कर है जो किसी कंपनी की शुद्ध आय या उसके संचालन से हुए लाभ पर लगाया जाता है।
- कंपनी अधिनियम 1956 के तहत भारत में पंजीकृत सार्वजनिक और निजी दोनों कंपनियों द्वारा निगम कर देय है।
- कॉरपोरेट टैक्स कंपनी की शुद्ध आय पर लगाया जाने वाला कर है, जबकि आयकर एक ऐसा कर है जो किसी व्यक्ति की आय पर लगाया जाता है, जैसे कि मज़दूरी और वेतन।
रियायती कर दर व्यवस्था:
- कर रियायत: सरकार द्वारा उस कर की राशि में की गई कटौती या कर प्रणाली में बदलाव है जिसे लोगों के एक विशेष समूह या विभिन्न संगठन भुगतान करते हैं, जिससे उन लोगों को लाभ होता है।
- सितंबर 2019 में शुरू की गई नई व्यवस्था के तहत नई निगमित घरेलू कंपनियों के लिये धारा 115BAB के तहत 15% की कर दर की घोषणा की गई थी, जो 31 मार्च, 2023 तक ऐसे लेखों या निर्मित वस्तुओं के निर्माण, उत्पादन, अनुसंधान या वितरण हेतु नए निवेश करते हैं।
- इसे इस साल के बजट (2022-23) में एक वर्ष से बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया गया है।
- केंद्र द्वारा व्यक्तिगत आय करदाताओं के लिये प्रभावी वर्ष 2020-21 (आयकर अधिनियम) के लिये एक समान रियायती दर व्यवस्था की पेशकाश की गई थी, जिसके तहत वे धारा 80 सी, 80 डी, मकान किराया भत्ता और छुट्टी यात्रा भत्ता द्वारा आय पर कम दर पर कर का भुगतान करने का विकल्प चुन सकते हैं।
- भले ही सरकार ने अभी तक नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था को चुनने वाले करदाताओं पर डेटा प्रकाशित नहीं किया है, लेकिन यह संकेत दिया गया है कि नई व्यवस्था बड़ी संख्या में करदाताओं को आकर्षित नहीं कर पाई है जिससे सरकार द्वारा फिर से इस पर विचार करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है।
रियायती कर दर व्यवस्था का प्रभाव:
- कर कटौती के परिणामस्वरूप लाभार्थी फर्मों द्वारा आर्थिक रूप से सार्थक 7% अतिरिक्त निवेश किया गया।
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहले यह सूचित किया था कि नई कर व्यवस्था ने इच्छित निवेश चक्र को किक-स्टार्ट करने में मदद नहीं की।
- कर की दर में कटौती का उपयोग "व्यापार चक्र को फिर से शुरू करने के बजाय ऋण सेवा, नकद शेष राशि और अन्य मौजूदा परिसंपत्तियों के निर्माण में" किया जा सकता है।