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शीत युद्ध और वर्तमान जलवायु मॉडल की सटीकता

  • 27 Aug 2024
  • 9 min read

 स्रोत: द हिंदू

हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित शोधकर्त्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा किया गया अध्ययन वर्तमान जलवायु मॉडल की सटीकता पर जानकारी प्रदान करता है। वैज्ञानिकों ने शीत युद्ध के दौरान किये गए परमाणु परीक्षणों के डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि इन मॉडलों में पादपों की कार्बन प्रतिधारण क्षमता का वास्तविकता से अधिक आकलन किया गया है।

  • कार्बन चक्र को समझने तथा जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों में इसकी भूमिका को जानने हेतु इस अध्ययन के महत्त्वपूर्ण निहितार्थ हैं।

अध्ययन से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • रेडियोकार्बन डेटा का उपयोग: शीत युद्ध के परमाणु परीक्षण विध्वंसकारी थे किंतु इनके कारण जलवायु अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन परीक्षणों के दौरान निर्मुक्त कार्बन-14 जैसे रेडियोधर्मी समस्थानिकों का उपयोग वायुमंडल में कार्बन की गति को ट्रैक करने के लिये किया गया।
    • 1963 में सीमित परीक्षण प्रतिबंध संधि (LTBT) के फलस्वरूप थल, वायु और जल के नीचे परमाणु परीक्षण प्रतिबंधित कर दिया गया, जिससे वायुमंडल में रेडियोकार्बन की सांद्रता निरंतर कम हुई।
    • अध्ययन में वायुमंडल में कार्बन के स्तर और पादपों द्वारा कार्बन के प्रतिधारण क्षमता में परिवर्तन का निरीक्षण करने के लिये 1963 से 1967 की अवधि के रेडियोकार्बन डेटा का उपयोग किया।
      • रेडियोकार्बन ऑक्सीजन के साथ आबंध बनाकर CO2 का निर्माण करते हैं, जिसे पौधे और वनस्पतियाँ प्रकाश संश्लेषण के दौरान भोजन व ऊर्जा का उत्पादन करने के लिये अवशोषित करते हैं, जैसा कि मॉडल द्वारा भी सुझाया गया है।
    • इस डेटा से पता चला कि पौधे पूर्व में किये गए अनुमान से कहीं अधिक तेज़ी से कार्बन का  प्रतिधारण और उन्हें मुक्त कर रहे हैं।
  • पौधों में कार्बन भंडारण: शोधकर्त्ताओं ने पाया कि पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान वायुमंडल से पहले के अनुमान से अधिक CO2 अवशोषित करते हैं, लेकिन इसे अधिक तेज़ी से पर्यावरण में वापस छोड़ देते हैं
    • पिछले अनुमानों से पता चला था कि विश्व भर में वनस्पतियाँ प्रतिवर्ष 43-76 बिलियन टन कार्बन संग्रहित करती हैं, लेकिन नए अध्ययन के अनुसार यह लगभग 80 बिलियन टन हो सकता है।
    • पौधों और वायुमंडल के बीच कार्बन का तेज़ी से चक्रण यह संकेत देता है कि वर्तमान जलवायु मॉडल में समायोजन की आवश्यकता हो सकती है, जिससे कार्बन अवशोषण के पुराने मॉडल को चुनौती मिल सकती है।
  • जलवायु मॉडल के लिये निहितार्थ: निष्कर्ष दर्शाते हैं कि वर्तमान जलवायु मॉडल यह अनुमान बढ़ा-चढ़ाकर लगा सकते हैं कि पौधे कितनी देर तक कार्बन को धारण करते हैं, जिससे सटीकता में सुधार हेतु समायोजन की आवश्यकता होगी।
    • अध्ययन में बताया गया है कि अनेक जलवायु मॉडलों में, जिनमें विश्व जलवायु अनुसंधान कार्यक्रम द्वारा युग्मित मॉडल अन्तर-तुलना परियोजना (Coupled Model Intercomparison Project- CMIP) में प्रयुक्त मॉडल भी शामिल हैं, रेडियोकार्बन डेटा को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है।
      • डेटा एकीकरण की कमी से कार्बन भंडारण और जलवायु अनुमानों में अशुद्धि हो सकती है।
    • अमेरिका में विकसित 'कम्युनिटी अर्थ सिस्टम मॉडल 2' एकमात्र ऐसा मॉडल था, जिसने अपने सिमुलेशन में रेडियोकार्बन को शामिल किया था, लेकिन इसने पूर्वानुमान लगाया कि पौधों ने जितना रेडियोकार्बन अवशोषित किया था, उससे कहीं कम अवशोषित किया था।
  • भविष्य के निहितार्थ: अध्ययन में अधिक सटीक भविष्यवाणियों के लिए रेडियोकार्बन जैसे समस्थानिकों के बेहतर प्रतिनिधित्व के साथ बेहतर जलवायु मॉडल की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, जो भविष्य के जलवायु आकलन को परिष्कृत करने और मॉडल की सटीकता को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

कार्बन चक्र क्या है और इसका जलवायु पर प्रभाव क्या है?

  • परिचय: कार्बन चक्र पृथ्वी पर विभिन्न जलाशयों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल के माध्यम से कार्बन के प्रवाह का वर्णन करता है।
  • जलवायु पर कार्बन चक्र का प्रभाव: कार्बन चक्र वायुमंडलीय CO₂ स्तर को विनियमित करने में मदद करता है, तथा कार्बन स्रोतों (जैसे, श्वसन, दहन) और कार्बन सिंक (जैसे, वन, महासागर) के बीच संतुलन बनाए रखता है।
    • CO2 के स्तर में उतार-चढ़ाव ग्रीनहाउस प्रभाव को प्रभावित करता है, जो वैश्विक तापमान और जलवायु प्रतिरूप को प्रभावित करता है।
    • महासागर वायुमंडलीय CO2 का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अवशोषित करते हैं। CO2 के बढ़े हुए स्तर से कार्बोनिक एसिड की सांद्रता बढ़ जाती है, जिससे महासागरों का अम्लीकरण होता है।
    • निर्वनीकरण जैसी गतिविधियाँ भूमि की कार्बन पृथक्करण की क्षमता को कम करती हैं, जिससे वायुमंडलीय CO2 का स्तर बढ़ जाता है।
    • तापमान में वृद्धि से पर्माफ्रॉस्ट पिघलते है, जिससे संग्रहित ग्रीनहाउस गैस मीथेन उत्सर्जित   करती है, जिसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन में वृद्धि होती है।

जलवायु मॉडल क्या हैं?

  • परिचय: जलवायु मॉडल जलवायु परिवर्तन को समझने और पूर्वानुमान लगाने के लिये आवश्यक उपकरण हैं। वे पृथ्वी की जलवायु प्रणाली का अनुकरण करने हेतु गणितीय समीकरणों का उपयोग करते हैं, जिसमें वायुमंडल, महासागर, भूमि की सतह और बर्फ के बीच की अंतःक्रियाएँ शामिल हैं।
    • ये मॉडल वैज्ञानिकों को विभिन्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन परिदृश्यों के आधार पर भविष्य की जलवायु स्थितियों का अनुमान लगाने तथा मौसम के पैटर्न, समुद्र के स्तर और पारिस्थितिकी तंत्र पर संभावित प्रभावों का आकलन करने में सहायता करते हैं।
    • जलवायु मॉडल जल संसाधन प्रबंधन, कृषि, परिवहन और शहरी नियोजन पर निर्णय लेने के लिये आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।
  • जलवायु मॉडल और मौसम पूर्वानुमान मॉडल: मौसम पूर्वानुमानों के विपरीत, जो विशिष्ट दैनिक स्थितियों की भविष्यवाणी करते हैं, जलवायु मॉडल दीर्घकालिक जलवायु प्रतिरूप और प्रवृत्तियों के संभाव्य अनुमान प्रदान करते हैं।
    • जलवायु मॉडल अल्पकालिक भविष्यवाणियों के बजाय समान परिस्थितियों में वैश्विक प्रतिरूप और ऐतिहासिक मौसम रिकॉर्ड पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. कार्बन डाइऑक्साइड के मानवोद्भवी उत्सर्जनों के कारण आसन्न भूमंडलीय तापन के न्यूनीकरण के संदर्भ में कार्बन प्रच्छादन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा/से संभावित स्थान हो सकता/सकते है/हैं ? (2017)

  1. परित्यक्त एवं गैर-लाभकारी कोयला संस्तर
  2. निःशेष तेल एवं गैस भण्डार
  3. भूमिगत गभीर लवणीय शैलसमूह

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (d)

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