सिविक पुलिस वोलेंटियर्स | 28 Aug 2024
स्रोत: द हिंदू
कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद पूरे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इस घटना का आरोपी एक सिविक पुलिस वोलेंटियर (CPV) है, जिसकी अस्पताल के संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुँच थी, जो अन्य वोलेंटियर्स की निगरानी और भूमिकाओं के विषय में गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सिविक पुलिस वोलेंटियर्स या रूरल पुलिस वोलेंटियर्स के नाम से जाने जाने वाले ये संविदा कर्मी पुलिस द्वारा सहायता हेतु नियुक्त किये जाते हैं, विशेष रूप से यातायात प्रबंधन और अन्य छोटे-मोटे कार्यों में जिनमें पुलिस कर्मियों की आवश्यकता नहीं होती है।
- उन्हें औपचारिक कानून प्रवर्तन कार्यों जैसे जाँच करने या गिरफ्तारी करने के लिये प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।
- पश्चिम बंगाल में CPV के लिये अर्हता प्राप्त करने हेतु व्यक्ति को स्थानीय निवासी होना चाहिये, उसकी आयु कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिये, उसने आठवीं कक्षा (आरंभ में दसवीं कक्षा) उत्तीर्ण की हो तथा उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिये।
- कानूनी और न्यायिक चिंताएँ: चंद्रकांत गांगुली बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य, 2016 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिविक पुलिस वोलेंटियर्स की भर्ती और कानूनी वैधता के विषय में चिंता जताई थी, जिसमें जाँच प्रक्रिया (पृष्ठभूमि जाँच) से संबंधित मुद्दों का उल्लेख किया गया था।
- उच्च न्यायालय एवं पुलिस प्रशासन ने कहा है कि CPV को ऐसी भूमिकाओं से प्रतिबंधित करने के आदेशों के बावजूद वे कानून प्रवर्तन कर्त्तव्यों में शामिल रहे हैं, जिससे कानूनी चिंताएँ और बढ़ गई हैं।
- आलोचनाएँ: CPV द्वारा अपनी भूमिका का अतिक्रमण करने तथा आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने की अनेक रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं।
- आलोचकों का तर्क है कि CPV की नियुक्ति कभी-कभी योग्यता के बजाय राजनीतिक निष्ठा के आधार पर की जाती है, जिससे पुलिस बल के राजनीतिकरण और हितों के टकराव की आशंका उत्पन्न होती है।
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