चेनकुरिंजी | 06 Jul 2022

चर्चा में क्यों?

जलवायु परिवर्तन के कारण चेनकुरिंजी प्रभावित हुआ है, इसलिये इसमें विभिन्न संरक्षण उपायों को शामिल किया जा रहा है।

प्रजातियों के बारे में:

  • चेनकुरिंजी (ग्लूटा ट्रैवनकोरिका) अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये एक स्थानिक प्रजाति है, यह शेंतुरुणी वन्यजीव अभयारण्य (Shendurney Wildlife Sanctuary) के नाम से प्रेरित है।
  • एनाकार्डियासी (Anacardiaceae) परिवार का यह पेड़ कभी आर्यनकावु दर्रे (Aryankavu Pass) के दक्षिणी हिस्सों की पहाड़ियों में प्रचुर मात्रा में मौजूद था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी उपस्थिति तेज़ी से घट रही है।
  • ग्लूटा ट्रैवनकोरिका में जनवरी महीने में फूल आते हैं, लेकिन इस प्रजाति ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन के कारण इस प्रक्रिया का विस्तार की प्रवृत्ति प्रदर्शित की है।
  • इसका उपयोग निम्न रक्तचाप और गठिया के इलाज के लिये किया जाता है।

Chenkurinji

अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व:

  • अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व भारत के पश्चिमी घाट के सबसे दक्षिणी छोर में स्थित है और इसमें समुद्र तल से 1,868 मीटर ऊँची चोटियाँ शामिल हैं।
  • इस रिज़र्व का अधिकांश क्षेत्र उष्णकटिबंधीय जंगल है,  यहाँ पौधों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो प्रकृति में स्थानिक हैं।
  • यह कृषिगत पौधों, विशेष रूप से इलायची, ज़ामुन, ज़ायफल, काली मिर्च और केले के लिये अनूठा आनुवंशिक क्षेत्र है।
  • इस बायोस्फीयर रिज़र्व  में तीन वन्यजीव अभयारण्य - शेंदुरने, पेप्पारा और नेय्यर, साथ ही कलाकड़ मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व शामिल हैं।

संरक्षण उपाय:

  • 'सेव चेनकुरिंजी' एक अभियान है जिसे एचेनकोइल वन प्रभाग के तहत आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया जाना चाहिये।
    • इसका उद्देश्य कोल्लम और पथानामथिट्टा ज़िलों के घाट सेक्टरों में अभियान के तहत हज़ारों पौधे लगाना है।
    • क्षेत्र के लगभग 75 स्कूल जहांँ छात्रों की सहायता से चेनकुरिंजी को उगाया जाएगा।
    • स्कूलों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर भी पौधे रोपे जाएंगे और वन विभाग पहले ही चेनकुरिंजी को बचाने के लिये हज़ारों पौधे लगा चुका है।

स्रोत: द हिंदू