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चाँदीपुरा वायरस संक्रमण

  • 22 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में गुजरात में संदिग्ध चाँदीपुरा वायरस (CHPV) संक्रमण से कई बच्चों की मृत्यु हो गई है।

CHPV संक्रमण:

  • CHPV एक अर्बोवायरस है जो रैबडोविरिडे फैमिली के Vesiculovirus genus से संबंधित है। 
  • CHPV सैंडफ्लाई की विभिन्न प्रजातियों द्वारा फैलता है, जैसे कि फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई, फ्लेबोटोमस पापाटासी और मच्छर जैसे कि एडीज़ एजिप्टी (डेंगू के लिये वेक्टर/कारक)।
    • यह मुख्यतः 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
  • जटिलताएँ और लक्षण:
    • वायरस इन कीड़ों की लार ग्रंथियों में रहता है और उनके काटने से फैलता है। CHPV केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को संक्रमित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से मस्तिष्क के सक्रिय ऊतकों में सूजन यानी इंसेफेलाइटिस हो सकता है।
    • इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिसमें बुखार, शरीर में पीड़ा और सिरदर्द शामिल हैं। यह मानसिक स्थिति में बदलाव, दौरे, इंसेफेलाइटिस, सांस लेने में तकलीफ, रक्तस्राव और यहाँ तक कि एनीमिया का भी कारण बन सकता है।
  • उपचार:
    • वर्तमान में, CHPV के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार या टीका नहीं है, इसलिये देखभाल और लक्षणात्मक उपचार ही सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
  • महामारी विज्ञान (Epidemiology):
    • CHPV की पहचान सर्वप्रथम वर्ष 1965 में महाराष्ट्र के चाँदीपुरा गाँव में डेंगू के प्रकोप के दौरान हुई थी। 
    • यह संक्रमण मध्य भारत में विशेष रूप से ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में स्थानिक बना हुआ है, जहाँ सैंडफ्लाई अधिक संख्या में पनपते हैं। 
    • सैंडफ्लाई के बढ़ते प्रजनन के कारण मानसून के मौसम में इसका प्रकोप अधिक होता है।

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