प्रारंभिक परीक्षा
चंद्रमा पर गुफाएँ
- 18 Jul 2024
- 7 min read
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर एक गुफा के अस्तित्व की पुष्टि की है, जो उस स्थान के पास स्थित है जहाँ 55 वर्ष पहले अपोलो 11 मिशन उतरा था।
- इस खोज का भविष्य में चंद्र अन्वेषण और चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति की स्थापना के लिये महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
चंद्रमा से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- मुख्य निष्कर्ष:
- इटली के नेतृत्व वाली शोधकर्त्ताओं की एक टीम को अपोलो 11 लैंडिंग स्थल से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर, ट्रैंक्विलिटी सागर में स्थित एक गुफा के साक्ष्य मिले।
- चंद्रमा की सतह पर खोजे गए 200 से अधिक अन्य गड्ढों की तरह यह गड्ढा भी लावा ट्यूब के ढहने से बना था।
- नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर द्वारा रडार मापों के विश्लेषण से पता चला कि गुफा कम-से-कम 40 मीटर चौड़ी और दसियों मीटर लंबी है तथा संभवतः इससे भी बड़ी है।
- इटली के नेतृत्व वाली शोधकर्त्ताओं की एक टीम को अपोलो 11 लैंडिंग स्थल से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर, ट्रैंक्विलिटी सागर में स्थित एक गुफा के साक्ष्य मिले।
- महत्त्व/निहितार्थ:
- भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिये संभावित आश्रय: चंद्र गुफाएँ ब्रह्मांडीय किरणों, सौर विकिरण तथा सूक्ष्म उल्कापिंडों से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिससे आवासों के निर्माण की आवश्यकता कम हो जाती है।
- लुनार भूविज्ञान और ज्वालामुखी गतिविधि को समझना: इन गुफाओं के अंदर की चट्टानें और सामग्री, जो सदियों से सतही परिस्थितियों से अपरिवर्तित रही हैं।
- यह वैज्ञानिकों को चंद्रमा के विकास, विशेष रूप से इसकी ज्वालामुखी गतिविधि को बेहतर ढंग से समझने में सहायक हो सकता है।
- संभावित जल और ईंधन स्रोत: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थायी रूप से छायादार क्रेटरों में फ्रोज़ेन वाटर की उपस्थिति है, जो पीने और रॉकेट ईंधन के लिये एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है।
- लुनार अन्वेषण का उन्नयन करना: लुनार गुफाओं की खोज चंद्रमा के भू-विज्ञान और संसाधनों को समझने में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य के मिशन हेतु योजना निर्माण तथा चंद्रमा पर मानवीय उपस्थिति एवं उनकी चिरस्थायित्वता में सहायता करता है।
चंद्रमा अन्वेषण
- वर्ष 1959 में सोवियत संघ के लूना-1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाले पहले रोबोटिक मिशन थे।
- अपोलो 11 मिशन से पहले वर्ष 1961 और 1968 के बीच अमेरिका ने चंद्रमा पर रोबोटिक मिशनों की 3 श्रेणियाँ भेजी थीं।
- वर्ष 1969 से 1972 तक, 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर पहुँचे।
- वर्ष 1990 के दशक में अमेरिका ने क्लेमेंटाइन और लुनार प्रॉस्पेक्टर जैसे रोबोटिक मिशनों के साथ चंद्र अन्वेषण पुनः प्रारंभ किया।
- वर्ष 2009 में अमेरिका ने चंद्र मिशनों के लिये लुनार रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) और लुनार क्रेटर ऑब्ज़र्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट (LCROSS) लॉन्च किया।
- वर्ष 2011 में नासा ने चंद्र अन्वेषण के लिये ARTEMIS मिशन प्रारंभ किया।
- ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने वर्ष 2012 में चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया था।
- चीन ने चंद्रमा की सतह पर अपने दो रोवर लैंड किये, जिसमें वर्ष 2019 में चंद्रमा के सुदूर भाग पर सर्वप्रथम लैंडिंग भी शामिल है।
भारत (ISRO) का चंद्र मिशन
- चंद्रयान 1: चंद्रयान परियोजना की शुरुआत वर्ष 2007 में ISRO और रूस के रोस्कोसमोस (ROSCOSMOS) के बीच सहयोग से हुई थी। रूस द्वारा लैंडर विकसित करने में देरी के कारण मिशन को शुरू में वर्ष 2016 तक के लिये स्थगित कर दिया गया था।
- निष्कर्ष: चंद्र पर जल की मौजूदगी, गुफाओं के साक्ष्य और सतह पर पूर्व में घटित हुई विवर्तनिक गतिविधि की पुष्टि हुई।
- चंद्रयान-2: यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन था, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे। रोवर प्रज्ञान, विक्रम लैंडर के अंदर अवस्थित था।
- चंद्रयान-3: इसके माध्यम से भारत चंद्र के दक्षिणी ध्रुव के समीप लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बना और इसके साथ ही ISRO रोस्कोसमोस, NASA तथा CNSA के बाद चंद्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाली विश्व की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016) |