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ब्राज़ीलियन वेलवेट चींटी

  • 03 Jan 2025
  • 5 min read

स्रोत: द हिंदू

बेइलस्टीन जर्नल ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है, कि ब्राज़ीलियन वेलवेट चींटी (ट्राउमेटोमुटिला बिफुरका) के शरीर के अंग "अत्यंत काले" होते हैं।

ये हिस्से 99.5% से ज़्यादा दृश्यमान प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ये लगभग अदृश्य हो जाते हैं। यह खोज प्रौद्योगिकी में संभावित अनुप्रयोगों के साथ अद्वितीय जैविक नैनो संरचनाओं को उज़ागर करती है।

ब्राज़ीलियन वेलवेट चींटी से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वर्गीकरण: वेलवेट चींटियाँ "सामान्य चींटियाँ" नहीं हैं, ये म्यूटिलिडे परिवार से संबंधित ततैया की एक प्रजाति हैं।
  • वेलवेट जीव हाइमनोप्टेरा गण से संबंधित है, जिसमें मधुमक्खियाँ और अन्य ततैया भी शामिल हैं।
    • कुछ प्रजातियाँ, जैसे कि ट्रौमेटोमुटिला बिफुरका (ब्राजीलियन वेलवेट चींटी), स्पष्ट काले और सफेद निशान प्रदर्शित करती हैं, जिससे ये उष्णकटिबंधीय सवाना और शुष्क झाड़ीयुक्त रेगिस्तानों में देखने में आकर्षक लगती हैं।
  • अल्ट्राब्लैक गुण: मादा वेलवेट चींटियाँ अल्ट्राब्लैक रंग प्रदर्शित करती हैं, जिसे सर्वप्रथम ट्रौमेटोमुटिला बिफुरका में देखा गया था, जो लगभग सभी दृश्य प्रकाश को अवशोषित कर लेती है।
  • यह अनोखा रंग एक्सोस्केलेटन में मौज़ूद विशेष सूक्ष्म संरचनाओं से आता है, जो प्रकाश को रोकती हैं। अल्ट्राब्लैक पिगमेंटेशन छलावरण, तापमान नियंत्रण और साथी को आकर्षित करने में मदद करता है।
    • नर बनाम मादा: केवल मादा वेलवेट चींटियाँ ही अत्यंत काला रंग प्रदर्शित करती हैं, हालाँकि नर में भी समान काले निशान होते हैं, लेकिन ये अधिक प्रकाश को परावर्तित करते हैं।
  • पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका: यह परागणकर्त्ता के रूप में कार्य करता है तथा पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में योगदान देता है।
  • विकासात्मक महत्त्व: अल्ट्राब्लैक गुणधर्म अभिसारी विकास को उज़ागर करता है, जहाँ असंबंधित प्रजातियाँ समान लक्षण विकसित करती हैं। 
    • यह अनुकूलन बर्ड्स ऑफ पैराडाइस और डीप-सी फिश में भी देखा जाता है, जो छलावरण और जीवित रहने में सहायक होता है। 
  • संभावित वैज्ञानिक अनुप्रयोग: अल्ट्राब्लैक गुणधर्म नैनोसंरचनाओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रकट करता है तथा स्टील्थ टेक्नोलॉजी और सौर पैनल दक्षता में प्रगति को प्रेरित करता है।

नोट: 

  • चींटियाँ, आकार में छोटी होने के बावज़ूद, पृथ्वी के लगभग प्रत्येक  भूभाग पर बसी हुई हैं। इनका कुल बायोमास पक्षियों और स्तनधारियों के संयुक्त बायोमास से भी अधिक होने की उम्मीद है।
    • पारिस्थितिक संदर्भ में बायोमास, किसी आवास के दिये गए क्षेत्र या आयतन के भीतर पौधों एवं जानवरों समेत जीवित जीवों के कुल द्रव्यमान को संदर्भित करता है।
  • चींटियाँ अत्यंत संगठित कॉलोनियों वाली यूसोशल कीट हैं, जो महत्त्वपूर्ण सहयोग और श्रम विभाजन को प्रदर्शित करती हैं।
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, चींटियाँ भोजन की तलाश को नियंत्रित करने, ऊर्जा और संसाधनों को संरक्षित करने के लिये प्रतिक्रिया (क्रियाओं के प्रति प्रतिक्रिया) का उपयोग करती हैंअपशिष्ट को कम करने का यह सिद्धांत ऊर्जा उपयोग या डेटा प्रबंधन जैसी प्रणालियों में दक्षता बढ़ा सकता है।
    • इसके अतिरिक्त चींटियाँ बिना किसी केंद्रीय नियंत्रण के कार्य करती हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि जटिल कार्यों को सरल अंतःक्रियाओं के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है।
  • नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की कार्यवाही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि चींटियाँ, विशेष रूप से लॉन्गहॉर्न क्रेजी चींटियाँ (पैराट्रेचिना लॉन्गिकोर्निस) मौखिक संचार के बिना प्रयासों का समन्वय करके सामूहिक समस्या-समाधान में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं।
  • अध्ययन के अनुसार बाधाओं के बीच से T-आकार की वस्तु को ले जाने के प्रयोग में चींटियों ने मनुष्यों से बेहतर प्रदर्शन किया।
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