इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

मस्तिष्क-प्रेरित सेंसर छोटी चीज़ों का पता लगाने में सक्षम

  • 22 Feb 2023
  • 5 min read

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISC) के एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि मस्तिष्क-प्रेरित एक छवि सेंसर प्रकाश की विवर्तन सीमा से परे उन छोटी वस्तुओं जैसे- सेलुलर घटकों या नैनो कणों की पहचान कर सकती है जो आधुनिक सूक्ष्मदर्शी के लिये भी कठिन कार्य है।

तकनीक:

  • यह तकनीक एक न्यूरोमॉर्फिक कैमरा और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के साथ ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी का प्रयोग कर आकार में 50 नैनोमीटर से छोटी वस्तुओं के बारे में जानकारी प्रदान करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप दो वस्तुओं के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं जो विवर्तन सीमा के कारण एक विशिष्ट आकार (आमतौर पर 200-300 नैनोमीटर) से छोटे होते हैं।
  • न्यूरोमोर्फिक कैमरा ठीक उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार मानव रेटिना प्रकाश को विद्युत आवेगों में परिवर्तित करता है।
    • न्यूरोमॉर्फिक कैमरों में प्रत्येक पिक्सेल स्वतंत्र रूप से संचालित होता है, जिससे विरल और कम मात्रा में डेटा उत्पन्न होता है। प्रक्रिया मानव रेटिना के काम करने के तरीके के समान है।
      • यह कैमरे को बहुत अधिक अस्थायी रिज़ॉल्यूशन के साथ पर्यावरण का "नमूना" प्राप्त करने की अनुमति देता है। 
    • पारंपरिक कैमरों में प्रत्येक पिक्सेल उस पर पड़ने वाले प्रकाश की तीव्रता को कैप्चर करता है और इन पिक्सेल को वस्तु की छवि के पुनर्निर्माण के लिये एक साथ रखा जाता है। 
  • प्रयोग ने न्यूरोमॉर्फिक कैमरे का उपयोग उच्च और निम्न, दोनों तीव्रता पर लेज़र स्पंदन की चमक एवं प्रतिदीप्ति स्तरों में भिन्नता को मापकर विवर्तन की सीमा से छोटे विशिष्ट फ्लोरोसेंट मोतियों को इंगित करने के लिये किया।
    • जैसे-जैसे तीव्रता बढ़ती है, कैमरा सिग्नल को "ऑन" घटना के रूप में कैप्चर करता है, जबकि प्रकाश की तीव्रता कम होने पर "ऑफ" घटना की सूचना मिलती है।  
    • फ्रेम के पुनर्निर्माण के लिये इन घटनाओं के डेटा को एक साथ संयोजित किया गया था। 

इस तकनीक का महत्त्व: 

  • जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिकी में स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं को सटीक रूप से ट्रैक करने एवं समझने में इस दृष्टिकोण के व्यापक अनुप्रयोग हो सकते हैं।
    • यह स्व-संगठन जैसी जैविक प्रक्रियाओं के सामान्य नियमों को समझने में मदद करेगा।
    • टीम इस तकनीक का उपयोग करके एक जलीय घोल में स्वतंत्र रूप से घूमने वाले एक फ्लोरोसेंट मनके (मोती) की गति को बारीकी से ट्रैक करने में भी सक्षम थी।

स्टोकेस्टिक प्रक्रिया:

  • इसे अनियमित प्रक्रिया के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसका संचालन संयोगवश होता है।
  • उदाहरण के लिये रेडियोधर्मी क्षय में प्रत्येक परमाणु किसी भी समय अंतराल में टूटने की निश्चित संभावना के अधीन होता है।

विवर्तन सीमा:

  • विवर्तन सीमा एक ऑप्टिकल प्रणाली की क्षमता पर एक मौलिक भौतिक सीमा है जो दो निकटवर्ती वस्तुओं के मध्य अंतर करने के लिये है।
  • वस्तुओं का निरीक्षण करने हेतु उपयोग किये जाने वाले एपर्चर या लेंस का आकार प्रकाश की तरंग दैर्ध्य के साथ-साथ प्रकाश के दो-बिंदु स्रोतों के बीच सबसे छोटी समाधान योग्य दूरी (Resolvable Distance) निर्धारित करती है।
  • व्यावहारिक रूप में इसका मतलब यह है कि सटीक लेंस या टेलीस्कोप के साथ भी एक छवि में कितने विवरण या खूबियों को हल किया जा सकता है इसकी भी एक सीमा होती है।
  • विवर्तन सीमा से अधिक पास-पास की वस्तुएँ छवि में धुँधली या अविभाज्य दिखाई देंगी।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2