बोस मेटल | 21 Mar 2025

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

चीन और जापान के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने प्रायोगिक साक्ष्य प्रस्तुत किया है कि नियोबियम डाइसेलेनाइड (NbSe₂) बोस मेटल के गुण प्रदर्शित करता है।

नियोबियम डाइसेलेनाइड (NbSe₂)

  • NbSe₂ एक टाइप-II अतिचालक है, जिसका अर्थ यह है कि यह अपनी अतिचालकता की क्षमता खोए बिना एक निश्चित मात्रा में चुंबकीय क्षेत्र को गुज़रने दे सकता है। शोधकर्त्ताओं ने क्वांटम प्रभावों को बेहतर ढंग से देखने और बढ़ाने के लिये NbSe₂ के सिंगल-लेयर (2D) रूप का अध्ययन किया।

बोस मेटल क्या है?

  • परिचय: बोस मेटल एक असामान्य क्वांटम अवस्था को संदर्भित करता है, जहाँ इलेक्ट्रॉन युग्म (कॉपर युग्म- दो इलेक्ट्रॉनों की युग्मित अवस्था जो बिना प्रतिरोध के अतिचालक से होकर गुज़रते हैं) बनते हैं, लेकिन सुपरकंडक्टिंग अवस्था में परिवर्तित नहीं होते हैं।
    • अतिचालकता पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें पदार्थ एक क्रांतिक तापमान (T₀) से नीचे शून्य विद्युत प्रतिरोध और पूर्ण प्रतिचुंबकत्व (चुंबकीय क्षेत्रों का विकर्षण) प्रदर्शित करता है, जिससे विद्युत धारा बिना ऊर्जा हानि के अनंत काल तक प्रवाहित हो सकती है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • अतिचालक संक्रमण की अनुपस्थिति: बोस मेटल में ताँबे के युग्म बनते हैं, लेकिन यह पदार्थ शून्य प्रतिरोध प्राप्त नहीं करता है, तथा सामान्य धातुओं की तुलना में बेहतर चालक के रूप में व्यवहार करता है।
    • असामान्य धात्विक अवस्था (AMS): यह पारंपरिक पूर्वानुमानों जिसके अनुसार निम्न तापमान पर धातुएँ या तो विद्युतरोधी या अतिचालक होती हैं, के विपरीत है।
    • मध्यवर्ती चालकता: बोस धातुओं की विद्युत चालकता, परम शून्य पर एक विद्युतरोधी (शून्य) और अतिचालक (अपरिमित) के बीच होती है और इसकी चालकता क्वांटम घटत बढ़त और चुंबकीय क्षेत्र जैसी बाह्य स्थितियों से प्रभावित होती है।
  • अनुप्रयोग:
    • क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान: बोस धातुएँ नवीन क्वांटम अवस्थाओं का अन्वेषण करनें में मदद कर सकती हैं, क्वांटम बिट्स (क्यूबिट) के विकास में सहायता कर सकती हैं, तथा अव्यवस्थित धातुओं और अपरंपरागत सामग्रियों सहित जटिल क्वांटम चरणों में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती हैं।
    • उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स: उनके अद्वितीय प्रवाहकीय गुण अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डिज़ाइन को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बेहतर प्रदर्शन और ऊर्जा दक्षता में सुधार हो सकता है।
    • अतिचालकता अनुसंधान: एक मध्यवर्ती चरण के रूप में, बोस धातुएँ अतिचालकता में परिवर्तन के बोध में सहायता करती हैं, तथा उच्च तापमान अतिचालकों के विकास में योगदान देती हैं।
  • सीमाएँ:
    • बोस धातुओं से संबंधित सैद्धांतिक अस्पष्टताएँ हैं, जिनकी वर्तमान में कोई सर्वभौम परिभाषा और व्यावहारिक अनुप्रयोग नहीं है। उनका प्रयोगात्मक संसूचन चुनौतीपूर्ण है, जिसके लिये विशिष्ट रूप से निम्न तापमान और चुंबकीय स्थितियों की आवश्यकता होती है ।

कूपर युग्म:

  • इस अवधारणा की खोज वर्ष 1956  में लियोन कूपर ने की थी ।
  • बोस धातु में कूपर युग्म विकसित होते हैं, लेकिन अतिचालक अवस्था में संघनित नहीं होते, जबकि अतिचालकों में वे संघनित होकर बिना प्रतिरोध के धारा को प्रवाहित होने देते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. “क्यूबिट (Qubit)” शब्द का उल्लेख निम्नलिखित में से कौन-से एक प्रसंग में होता है? (2022)

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम संगणन 
(c) दृश्य प्रकाश संचार प्रौद्योगिकियाँ 
(d) बेतार संचार प्रौद्योगिकियाँ 

उत्तर: (b)