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द्विअपवर्तन

  • 21 Mar 2025
  • 2 min read

स्रोत: प्रेस रीडर 

अपवर्तन (Refraction) का आशय प्रकाश का एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर उसकी गति में परिवर्तन के कारण होने वाले बंकन (मुड़ना) से है। हालाँकि, कुछ पदार्थों में द्विअपवर्तन (दोहरा अपवर्तन) नामक घटना भी होती है।

  • द्विअपवर्तन: यह कुछ पदार्थों का ऑप्टिकल गुण है, जहाँ आपतित प्रकाश 2 किरणों में विभाजित हो जाता है, जिनमें से प्रत्येक अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग अपवर्तनांक के कारण अलग-अलग गति से यात्रा करती है। यह पदार्थों की विषमतापूर्ण प्रकृति के कारण उत्पन्न होता है।
    • अपवर्तनांक निर्वात में प्रकाश की गति और माध्यम में उसकी गति का अनुपात है। निर्वात का अपवर्तनांक 1 होता है। उच्च अपवर्तनांक अधिक प्रकाशीय घनत्व और प्रकाश की निम्न गति को दर्शाता है ।
  • द्विअपवर्तक पदार्थों के प्रकार:
    • प्राकृतिक: कैल्साइट, क्वार्ट्ज, अभ्रक
    • कृत्रिम: बेरियम बोरेट, लिथियम नियोबेट
    • अभिप्रेरित: भौतिक तनाव, विद्युत या चुंबकीय क्षेत्र लागू करके बनाया जा सकता है।
  • अनुप्रयोग: LCD, माइक्रोस्कोप, ऑप्टिकल स्विच, वेवप्लेट्स, फ्रीक्वेंसी कन्वर्टर्स और प्रकाश नियंत्रण के लिये लेजर में उपयोग किया जाता है।

आइसोट्रोपिक और एनिसोट्रोपिक पदार्थ:

  • आइसोट्रोपिक पदार्थ: एक समान संरचना वाले, स्थिर कोण पर प्रकाश को अपवर्तित करने वाले, तथा ध्रुवीकरण के बिना इसे एक ही वेग से गुजरने देने वाले पदार्थ। उदाहरण: काँच, टेबल साल्ट (NaCl)।
  • एनिसोट्रोपिक पदार्थ: इनमें अलग-अलग क्रिस्टल अक्ष होते हैं, जिससे प्रकाश विभिन्न वेग और लंबवत ध्रुवीकरण (द्विअपवर्तन) के साथ 2 किरणों में विभाजित हो जाता है। उदाहरण: कैल्साइट, क्वार्ट्ज, मीका, टूमलाइन।

और पढ़ें: फोटोनिक क्रिस्टल 

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