भारत में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन | 04 Dec 2024

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

HIV से संबंधित चिंताओं के बीच, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन (BMW) पर हाल की चर्चाओं ने ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिये प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट क्या है?

  • परिभाषा: जैव-चिकित्सा अपशिष्ट से तात्पर्य मानव और पशुओं के शारीरिक अपशिष्ट से है, साथ ही उपचार उपकरण जैसे सुई, सीरिंज और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में उपचार और अनुसंधान के दौरान उपयोग की जाने वाली अन्य सामग्री से भी है।
  • उपचार और निपटान के तरीके: जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन के विकल्पों में भस्मीकरण, प्लाज्मा पायरोलिसिस, ऑटोक्लेविंग और पुनर्चक्रण शामिल हैं।
  • जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की वर्तमान स्थिति:
    • इनमें से लगभग 79% सुविधाएँ अपशिष्ट प्रबंधन के लिये 218 कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल सुविधाएँ (CBWTF) का उपयोग करती हैं।
    • परिचालनरत CBWTF में से 208 ने निगरानी बढ़ाने के लिये जैव-चिकित्सा अपशिष्ट ट्रैकिंग के लिये केंद्रीकृत बार कोड प्रणाली (CBST-BMW) को अपनाया है।
      • वर्ष 2020 तक, भारत में प्रतिदिन लगभग 774 टन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न होता था। 
      • भारत में 393,242 स्वास्थ्य सुविधाएँ हैं, जिनमें से 67.8% बिना बिस्तर वाली (क्लिनिक, प्रयोगशालाएँ) हैं और 32.2% अस्पताल और नर्सिंग होम हैं।
  • संवर्द्धन हेतु रणनीतियाँ:
    • चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना: चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को लागू करने से स्वास्थ्य देखभाल अपशिष्ट प्रबंधन में धारणीय प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है।
      • IIT के शोधकर्त्ता पारंपरिक 'टेक-मेक-डिस्पोज' मॉडल के बजाय 'रिड्यूस-रीयूज-रीसाइकल' दृष्टिकोण की वकालत करते हैं।

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जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन हेतु क्या प्रावधान हैं?

  • जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
    • नियमों के दायरे का विस्तार कर इसमें टीकाकरण शिविर, रक्तदान शिविर, शल्य चिकित्सा शिविर या अन्य स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।
    • इसके तहत मार्च 2016 से शुरू होकर दो वर्षों के अंदर क्लोरीनयुक्त प्लास्टिक बैग, दस्ताने एवं रक्त बैग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रावधान किया गया।
    • इसमें प्रयोगशाला अपशिष्ट, सूक्ष्मजीवी अपशिष्ट, रक्त के नमूनों एवं रक्त थैलियों का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) या राष्ट्रीय AIDS नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा निर्धारित तरीके से कीटाणुशोधन या रोगाणुनाशन के माध्यम से पूर्व उपचार किये जाने का प्रावधान किया गया।
    • इसमें स्रोत पर अपशिष्ट के पृथक्करण में सुधार हेतु जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में वर्गीकृत करने का प्रावधान किया गया।
  • हानिकारक अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) नियम, 2016
  • बेसल कन्वेंशन: इसे वर्ष 1989 में अपनाया गया तथा यह वर्ष 1992 से प्रभावी एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य हानिकारक अपशिष्टों की पारगमन गतिविधि को सीमित करना है।
    • भारत बेसल कन्वेंशन का सदस्य है लेकिन इसने बेसल प्रतिबंध संशोधन का अनुसमर्थन नहीं किया है।

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संबंधित नीतियों पर HIV/AIDS का क्या प्रभाव है?

  • 1980 के दशक के अंत में अमेरिका में "सिरिंज टाइड" के कारण होने वाले वैश्विक संकट के परिणामस्वरूप मेडिकल अपशिष्ट ट्रैकिंग अधिनियम, 1988 जैसे सख्त नियम लागू किये गये।
  • भारत में वर्ष 1998 में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम लागू होने के साथ ही इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए, जिसके तहत अस्पतालों के अपशिष्ट को खतरनाक माना गया।
  • डॉ. बी.एल. वढेरा बनाम भारत संघ (1996 ) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से प्रदूषण संबंधी चिंताओं पर प्रकाश पड़ने के साथ संबंधित नियामक ढाँचे पर प्रभाव पड़ा।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली में ऐसे परिसरों के मालिकों एवं अधिभोगियों को (जिनके पास नगरपालिका के नाले से जुड़ा शौचालय नहीं है) निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपशिष्ट को एकत्रित कर निर्दिष्ट डिपो तक पहुँचाना होगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019)

(a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे।
(b) ये नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा सभी औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगे।
(c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिये सटीक और विस्तृत मानदंड उपबंधित हैं।
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिये यह आज्ञापक होगा कि किसी एक ज़िले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य ज़िले में न ले जाया जाए।

उत्तर: (c)