प्रारंभिक परीक्षा
भारत प्रवाह
- 19 Jan 2023
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हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों की शृंखला के माध्यम से दैनिक जीवन में नदियों, बंदरगाहों एवं नौवहन के महत्त्व तथा कल्पना को उज़ागर करने के लिये 'भारत प्रवाह-भारत अपने तटों के साथ (Bharat Pravah-India along its Shores)' पहल शुरू की है।
- केरल में कोच्चि, विझिंजम और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में गैलाथिया बे बंदरगाहों ने पूर्ण रूप से ट्रांसशिपमेंट हब बनने की दिशा में प्रगति की है।
भारत प्रवाह:
- परिचय:
- भारत प्रवाह शिपिंग, नदियों, समुद्रों और लोगों का व्यापक दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों से हितधारकों को एक-साथ लाने के लिये एक सामान्य मंच के रूप में काम करेगा।
- यह समुद्री क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों, नीतिगत मुद्दों और भविष्य के लक्ष्यों को उज़ागर करेगा।
- थीम:
- भारत में नदी और समुद्र केंद्रित विकास-ऐतिहासिक दृष्टिकोण।
- लोक संस्कृति और साहित्य में समुद्र, नदी, बंदरगाह और जहाज़।
- लोकप्रिय संस्कृति में बंदरगाहों और नौवहन का प्रतिनिधितत्त्व।
- पिछले 30 वर्षों में भारत के विकास में नौवहन और बंदरगाहों की भूमिका।
- बंदरगाहों के निजीकरण की राजनीति और अर्थव्यवस्था।
- अंतर्देशीय जलमार्ग - विकास की प्रमुख धारा, उनकी भूमिका और महत्त्व।
- हरित बंदरगाह और नौवहन उद्योग।
- बंदरगाहों और नौवहन उद्योग का भविष्य- प्रबंधन, चुनौतियाँ और नीतियाँ।
भारत में बंदरगाहों से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- सरकार चाहती है कि सभी बंदरगाह वर्ष 2047 तक मेगा बंदरगाह बनने हेतु एक मास्टर प्लान तैयार करें।
- वर्तमान में भारत के ट्रांसशिपमेंट कार्गो का लगभग 75% भारत के बाहर बंदरगाहों पर वहन किया जाता है। मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग के बंदरगाह इस कार्गो के 85% से अधिक का वहन करते हैं।
- ट्रांसशिपमेंट हब ऐसे बंदरगाह होते हैं जिनका मूल और गंतव्य बंदरगाह से संपर्क होता है।
- भारत मेगा बंदरगाहों का निर्माण करना चाहता है जो डिजिटल और पर्यावरण के अधिक अनुकूल होंगे लेकिन इसके समक्ष कई चुनौतियाँ हैं।
- भारत लगभग 35% कंटेनरीकरण करता है, जबकि अन्य विकासशील देश 62% से 65% कंटेनरीकरण करते हैं।
- वर्तमान में भारत कंटेनरों का उपयोग करने के स्थान पर बल्क शिपिंग अधिक करता है, हालाँकि हम कंटेनरीकरण (Containerization) की दिशा में तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं।
- वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2% है। व्यापार संतुलन आयात की ओर है। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत 44वें स्थान पर है।
- कम रैंकिंग का कारण उचित बुनियादी ढाँचे और प्रक्रियात्मक सुधारों का अभाव है।