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MoW रजिस्टर में भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र

  • 24 Apr 2025
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (MoW) रजिस्टर में शामिल किया गया है, जिसमें वैश्विक महत्त्व के प्रलेखीय विरासत (अद्वितीय ग्रंथों, पांडुलिपियों इत्यादि का संग्रह) को संरक्षित किया जाता है।

भगवद्गीता

  • भगवद्गीता, ऋषि व्यास विरचित 700 श्लोकों वाला दार्शनिक संवाद है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में अंतर्निहित है। 
  • इसमें राजकुमार अर्जुन और भगवान कृष्ण के वार्तालाप का विवरण है, जिसमें धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान की शिक्षा दी गई है। 
  • गीता में वैदिक, बौद्ध, जैन और चार्वाक सहित विभिन्न भारतीय दर्शनों का संयोजन है और यह कर्म योग की आधारशिला है।

नाट्य शास्त्र

  • नाट्यशास्त्र, जिसका श्रेय भरत मुनि को दिया जाता है, प्रदर्शन कलाओं पर आधारित एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जिसमें लगभग 36,000 श्लोक हैं। 
  • यह भारतीय संस्कृति में अभिनय, नृत्य, संगीत और कलात्मक अनुभव का आधार है।
  • इसके दर्शन का केंद्र रस (रस निष्पत्ति) की अवधारणा है, जिसमें अभिनय के भावात्मक और आध्यात्मिक प्रभाव का अन्वेषण किया गया है। 
  • इसमें भरतनाट्यम, कथक और कथकली जैसी शास्त्रीय कलाओं को प्रभावित करते हुए अभिनय (प्रदर्शन), रस (अनुभव) और भाव (भावना) पर दिशा-निर्देश प्रदान किये गए हैं।

UNESCO का MoW कार्यक्रम

  • वर्ष 1992 में शुरू किए गए UNESCO के MoW कार्यक्रम का उद्देश्य पांडुलिपियों, मौखिक परंपराओं, दृश्य-श्रव्य और अभिलेखों संबंधी विश्व विरासत को संरक्षित करना है। 
  • प्रत्येक दो वर्ष में अद्यतन की जाने वाली इस सूची में वर्तमान में 570 प्रविष्टियाँ शामिल हैं, जिनमें ऋग्वेद (2005), अभिनवगुप्त की कृतियाँ (2023) और NAM शिखर सम्मेलन के अभिलेख (2023) जैसी उल्लेखनीय भारतीय प्रविष्टियाँ शामिल हैं।

और पढ़ें: UNESCO की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर 

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