करनाल का युद्ध | 28 Feb 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

फरवरी 1739 में करनाल के युद्ध में फारसी शासक नादिर शाह के हाथों मुगल सम्राट मुहम्मद शाह रंगीला की हार हुई, जो भारतीय इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था।

  • इसने न केवल नादिर शाह की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित किया , बल्कि मुगल साम्राज्य की कमज़ोरियों को भी उजागर किया, जिसके कारण अंततः उसका पतन हो गया।

करनाल का युद्ध से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • पृष्ठभूमि: फारस में अपने शासन को मज़बूत करने के बाद, नादिर शाह (जिसे फारस का नेपोलियन भी कहा जाता है) ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया (1738) और औरंगजेब की मृत्यु (1707) के बाद साम्राज्य की अस्थिरता का फायदा उठाते हुए खैबर दर्रे के माध्यम से मुगल क्षेत्र में आगे बढ़ा।
    • जनवरी 1739 तक नादिर शाह ने काबुल (जून 1738 में) तथा लाहौर पर भी कब्ज़ा कर लिया था।
  • सेना: 300,000 सैनिकों के बावजूद, मुगल सेना में समन्वय की कमी थी, जबकि नादिर शाह के 50,000 अनुशासित सैनिकों ने कुंडा बंदूकों के साथ घुड़सवार बंदूकधारियों जैसी उन्नत रणनीतिओं को अपनाया, जिससे मुगलों की पुरानी घुड़सवार सेना पर काबू पा लिया गया।
  • दिल्ली की लड़ाई और लूट: नादिर शाह ने मुगल सेना को (3 घंटे के भीतर) पराजित कर, दोवरान और सआदत खान को मार डाला तथा मुहम्मद शाह को बंदी बना लिया।
    • इसके बाद उसने दिल्ली (राजधानी शाहजहाँनाबाद) को लूटा तथा मयूर सिंहासन (तख्त-ए-ताऊस ) और कोहिनूर हीरे सहित अपार संपत्ति जब्त कर ली।
  • मुगल साम्राज्य पर प्रभाव: आक्रमण ने मुगल साम्राज्य को आर्थिक रूप से चकनाचूर और कमजोर कर दिया, जिससे बंगाल, अवध, हैदराबाद, मराठों और सिखों का उदय हुआ। 
    • इस आक्रमण के परिणामस्वरूप सिंधु नदी के पश्चिम में स्थित मुगल प्रांतों, अर्थात् अफगानिस्तान, कश्मीर, सिंध और मुल्तान, को फारस में मिला लिया गया।
    • इस कमज़ोरियों ने 18वीं और 19वीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश विस्तार को सुगम बना दिया।
  • युद्ध के कारण विदेशी आक्रमण: नादिर शाह के सेनापति अहमद शाह अब्दाली ने नादिर शाह की मृत्यु के बाद अफगानिस्तान पर अपना शासन स्थापित किया।
    • उन्होंने वर्ष 1748 और 1767 के बीच उत्तर भारत पर कई बार आक्रमण किया। सबसे प्रसिद्ध 1761 में मराठों (पानीपत की तीसरी लड़ाई) पर उनकी जीत थी।

बाद के मुगल जिन्होंने विदेशी आक्रमणों का सामना किया:

  • मुहम्मद शाह (1719-48): अपनी विलासितापूर्ण जीवन शैली के कारण इसे 'रंगीला' की उपाधि दी गई।
    • निज़ाम-उल-मुल्क की मदद से सैयद बंधुओं की हत्या कर दी गई।
    • आक्रमण का सामना: नादिर शाह (1739) - करनाल का युद्ध
  • आलमगीर द्वितीय (1754–59):
    • आक्रमण का सामना करना पड़ा: अहमद शाह अब्दाली (जनवरी 1757)।
    • प्रमुख युद्ध: प्लासी का युद्ध (जून 1757) उनके शासनकाल के दौरान लड़ा गया था।
  • शाह आलम द्वितीय (1760-1806, अंतरकालिक शासन)
    • आक्रमणों का सामना करना पड़ा:
      • पानीपत का तीसरा युद्ध (1761)- अहमद शाह अब्दाली (नजीब-उद-दौला (एक रोहिल्ला सरदार) और अवध के नवाब शुजा-उद-दौला के मध्य लड़ी गई थी।
      • बक्सर का युद्ध (1764) – ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी।

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