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सांभर झील में 'एवियन बोटुलिज़्म'

  • 22 Nov 2024
  • 5 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान की सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की सामूहिक रूप से मृत्यु हो गई, जो संभवतः एवियन बोटुलिज़्म नामक बीमारी के कारण हुई हैमाना जा रहा है कि इस बीमारी का कारण उच्च तापमान और झील की लवणता में कमी है।

एवियन बोटुलिज़्म क्या है?

  • परिभाषा: एवियन बोटुलिज़्म एक न्यूरोमस्कुलर बीमारी है जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थों के कारण होती है। यह बीमारी जंगली पक्षियों, मुख्य रूप से जलपक्षी और मछली खाने वाले पक्षियों को प्रभावित करती है, जिससे उनके पंख और पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।
  • पर्यावरणीय परिस्थितियाँ: एवियन बोटुलिज़्म विशिष्ट पर्यावरणीय कारकों से प्रेरित होती है, जिनमें शामिल हैं:
    • जल का उच्च तापमान
    • पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम होना।
    • स्थिर या उप-इष्टतम जल स्थितियाँ।
  • संक्रमण: जब मछलियाँ या अकशेरुकी जीव बैक्टीरिया का सेवन करते हैं और प्रतिकूल जल स्थितियों में मर जाते हैं, जिससे बोटुलिज़्म बीमारी उत्पन्न होती है। शवों में बैक्टीरिया विकसित होते हैं जो मछली खाने वाले पक्षियों और बत्तखों को नुकसान पहुँचाते हैं।
    • शवों से निकलने वाले विष को अन्य पक्षी और स्तनधारी जैसे जीव भी ग्रहण कर सकते हैं।
  • पक्षियों में लक्षण: मांसपेशियों में कमज़ोरी, लकवा और उड़ने या खड़े होने में कठिनाई। इससे प्रभावित पक्षी अपना सिर ऊपर उठाने की क्षमता खो सकते हैं
  • रोग प्रबंधन: इस बीमारी का कोई इलाज़ नहीं है। पर्यावरण में  क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम की प्राकृतिक उपस्थिति के कारण एवियन बोटुलिज़्म पर नियंत्रण चुनौतीपूर्ण है।
    • हालाँकि, शवों को हटाने और उचित तरीके से निपटाने से विष के प्रसार को सीमित करने में मदद मिलती है। छोटी झीलों में जल स्तर प्रबंधन से प्रकोप को कम किया जा सकता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम के सात प्रकार (AG) हैं, जिनमें C और E प्रकार जंगली पक्षियों को प्रभावित करते हैं। 
    • मनुष्यों में बोटुलिज़्म आमतौर पर अनुचित तरीके से डिब्बाबंद भोजन से उत्पन्न टाइप A या B विषाक्त पदार्थों के कारण होता है। 
    • टाइप C मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन टाइप E संक्रमित मछली से फैल सकता है, हालाँकि उचित तरीके से पकाने से विष को निष्क्रिय किया जा सकता है।
    • संदूषण से बचने के लिये मृत पक्षियों या मछलियों को संभालते समय दस्ताने पहनने और हाथ धोने जैसी सावधानियाँ बरतनी चाहिये।
  • सांभर झील में बोटुलिज़्म को बढ़ावा देने वाले कारक: अक्तूबर के महीने में जयपुर में उच्च तापमान (सामान्य से 1-5.1 डिग्री सेल्सियस अधिक), मीठे पानी के प्रवाह से लवणता में कमी, तथा वर्षा की कमी ने सांभर झील में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर दिया, जिससे क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम के विकास के लिये आदर्श स्थितियाँ उत्पन्न हो गई है।

सांभर झील

  • सांभर झील, भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की आर्द्रभूमि है, जो राजस्थान के नागौर और जयपुर ज़िलों में अरावली पहाड़ियों से घिरी हुई है। यह राजस्थान में नमक उत्पादन का एक स्रोत है।
    • इसके पारिस्थितिक महत्त्व के कारण इसे वर्ष 1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया।
  • नवंबर से फरवरी तक यह झील फ्लेमिंगो सहित हज़ारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है। मानसून के दौरान, इस झील में कूट्स, ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट, सैंडपाइपर और रेडशैंक जैसे पक्षी पाए जाते हैं।

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