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ASI द्वारा शिलालेखों का प्रतिकृतियन

  • 06 Aug 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने तमिलनाडु के तिरुप्पुर ज़िले में थलीश्वरर मंदिर में पत्थर के शिलालेखों की नकल करने के लिये एक परियोजना शुरू की है।

  • एस्टैम्पेज विधि: यह पुरातत्त्वविदों द्वारा विश्लेषण हेतु शिलालेखों की प्रतिकृति के लिये इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है।
    • इस प्रक्रिया में उत्कीर्ण पत्थर को ब्रश से साफ करना, उत्कीर्णन को स्थानांतरित करने के लिये पत्थर पर पहले से भिगोए गए मैपलिथो पेपर को लगाना और अक्षरों को पुनः उजागर करने के लिये कागज़ पर स्याही लगाना शामिल है।
    • सूखने के बाद, शीट के पीछे शिलालेख के स्थान के बारे में विवरण लिखा जाता है।
    • ये प्रतिकृति शिलालेख ऐतिहासिक शासकों की जीवनशैली, अर्थव्यवस्था, संस्कृतियों और प्रशासनिक प्रथाओं के संदर्भ में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे अन्य ऐतिहासिक स्रोतों के साथ पुष्टि के माध्यम से राजवंशीय इतिहास की बेहतर समझ मिलती है।
  • अभिनिर्धारित किये गए शिलालेख: 8 शिलालेख खोजे गए हैं, जिनमें 9वीं शताब्दी का वट्टेझुथु (प्राचीन तमिल लिपि) और 12वीं शताब्दी के तमिल में सात शिलालेख शामिल हैं। ये शिलालेख एक चेर शासक (प्राचीन तमिलनाडु के 3 प्रमुख राजवंशों में से एक, जो कला, वास्तुकला और साहित्य में अपने योगदान के लिये जाना जाता है) द्वारा मंदिर के निर्माण का दस्तावेज़ीकरण करते हैं।
  • टीम ने दो हीरो स्टोन (युद्ध में नायक की सम्मानजनक मृत्यु की स्मृति में एक स्मारक), एक अय्यनार (दक्षिण भारत में एक प्रसिद्ध लोक देवता) मूर्तिकला और मंदिर के समीप एक नंदी (बैल) मूर्तिकला से शिलालेख दर्ज किये।

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