अल्ज़ाइमर रोग | 17 May 2023
अल्ज़ाइमर रोग के इलाज के लिये बायोजेन और आईसाई कंपनी द्वारा विकसित एक दवा लेकानेमाब (Lecanemab) को यूएस फूड एंड मेडिसिन एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से "त्वरित" अनुमोदन प्राप्त होने के बाद अब एक अन्य दवा कंपनी एली लिली ने अल्ज़ाइमर के उपचार के लिये डोनानेमाब (Donanemab) दवा तैयार की है।
- वर्तमान में डोनानेमाब अमेरिका और यूरोप में उपयोग के लिये स्वीकृत नहीं है।
लेकानेमाब और डोनानेमाब:
- परिचय:
- डोनानेमाब एंटीबॉडी-आधारित उपचारों से संबंधित है जो अमाइलॉइड-बीटा (Aβ) प्रोटीन को लक्षित करती है। ये प्रोटीन मस्तिष्क में अमाइलॉइड प्लाक (शरीर के किसी हिस्से अथवा अंग पर ऊतक का एक छोटा, असामान्य पैच) बना सकते हैं, जिससे संज्ञानात्मक अनुभूति में कमी आ सकती है।
- डोनानेमाब का उद्देश्य इन प्लाक को हटाना और रोग की बढ़ने की गति को धीमा करना है।
- लेकानेमैब मोनोक्लोनल एंटीबॉडी नामक दवाओं के एक वर्ग से संबंधित है। ये एंटीबॉडी-मध्यस्थ दवाएँ बीटा एमिलॉयड को भी लक्षित करती हैं और सेल फंक्शन को बाधित करती हैं।
- डोनानेमाब एंटीबॉडी-आधारित उपचारों से संबंधित है जो अमाइलॉइड-बीटा (Aβ) प्रोटीन को लक्षित करती है। ये प्रोटीन मस्तिष्क में अमाइलॉइड प्लाक (शरीर के किसी हिस्से अथवा अंग पर ऊतक का एक छोटा, असामान्य पैच) बना सकते हैं, जिससे संज्ञानात्मक अनुभूति में कमी आ सकती है।
- सुरक्षा चिंताएँ और दुष्प्रभाव:
- डोनानेमाब और लेकानेमाब दोनों में साइड इफेक्ट का उच्च जोखिम होता है, जिसमें अमाइलॉइड-संबंधित इमेजिंग असामान्यताएँ (ARIA) जैसे कि मस्तिष्क में सूजन या रक्तस्राव शामिल हैं।
- दुख की बात यह है कि डोनानेमाब परीक्षणों में तीन रोगियों ने इन दुष्प्रभावों के कारण अपनी जान गँवा दी।
अल्ज़ाइमर रोग:
- परिचय:
- अल्ज़ाइमर रोग एक प्रगतिशील न्यूरोडिजनरेटिव विकार है जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है, इसके कारण स्मृति हानि, संज्ञानात्मक गिरावट, व्यवहार परिवर्तन, बोलने या लिखने में समस्या, निर्णय लेने की क्षमता में कमी, मनोदशा और व्यक्तित्व में परिवर्तन, समय या स्थान के साथ भ्रम आदि समस्याएँ हो सकती हैं।
- अल्ज़ाइमर रोग मनोभ्रंश का सबसे आम कारण है, जो मनोभ्रंश के 60-80% मामलों के लिये ज़िम्मेदार है।
- कारण और जोखिम कारक: वर्तमान में अल्ज़ाइमर के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है, फिर भी अल्ज़ाइमर में योगदान करने वाले कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- आयु: 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में होने वाले अधिकांश मामलों के साथ बढ़ती उम्र इसका प्राथमिक जोखिम कारक है।
- जेनेटिक्स: कुछ जीन म्यूटेशन जैसे कि APP, PSEN1 और PSEN2 अल्ज़ाइमर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
- अमाइलॉइड प्रोटीन: ऐसा माना जाता है कि अल्ज़ाइमर रोग मस्तिष्क की कोशिकाओं में और उसके आसपास अमाइलॉइड-बीटा तथा टाउ प्रोटीन के असामान्य निर्माण के कारण होता है।
- अमाइलॉइड-बीटा प्रोटीन मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच प्लाक बनाने के लिये एक साथ चिपक जाता है, जबकि टाउ प्रोटीन न्यूरॉन्स के अंदर मुड़ी हुई गाँठें बनाता है।
- जीवनशैली संबंधी कारक: हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान और सुस्त जीवनशैली जैसी पुरानी स्थितियाँ इस जोखिम में योगदान कर सकती हैं।
- निदान:
- स्मृति, सोच और समस्या को सुलझाने की क्षमता का आकलन करने हेतु संज्ञानात्मक एवं न्यूरोसाइकोलॉजिकल परीक्षण।
- मस्तिष्क में परिवर्तन की पहचान करने हेतु इमेजिंग तकनीक (MRI, PET स्कैन)।
- अमाइलॉइड पैच का पता लगाने हेतु बायोमार्कर परीक्षण (मस्तिष्कमेरु द्रव विश्लेषण, अमाइलॉइड PET)।
- उपचार और प्रबंधन:
- वर्तमान में अल्ज़ाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है लेकिन ऐसी दवाएँ और सहायक उपचार उपलब्ध हैं जो लक्षणों को अस्थायी रूप से कम कर सकते हैं।
- प्रसार:
- अल्ज़ाइमर रोग विश्व भर में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है, कम-से-कम 55 मिलियन लोग इस स्थिति से पीड़ित हैं।
- भारत में आबादी बढ़ने के साथ-साथ वर्ष 2030 तक डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर के पीड़ितों की संख्या बढ़कर 7.6 मिलियन होने का अनुमान है।
डिमेंशिया (मनोभ्रंश):
- मनोभ्रंश एक समेकित शब्द है जो लक्षणों के एक समूह को संदर्भित करता है और संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट इसकी विशेषता है जो स्थिति दैनिक कामकाज़ को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
- मनोभ्रंश वर्तमान में मृत्यु के सात प्रमुख कारणों में से एक है और विश्व स्तर पर वृद्धजनों में दिव्यांगता व निर्भरता के प्रमुख कारकों में शामिल है।