अल्फाफोल्ड और प्रोटीन | 02 Aug 2022
हाल ही में लंदन स्थित एक कंपनी डीपमाइंड ने अल्फाफोल्ड का उपयोग करके 200 मिलियन से अधिक प्रोटीन त्रि-आयामी संरचनाओं की भविष्यवाणी की है।
अल्फाफोल्ड:
- परिचय:
- अल्फाफोल्ड एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित उपकरण है जो प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी करता है।
- यह डीप न्यूरल नेटवर्क नामक कंप्यूटर प्रणाली पर आधारित है।
- न्यूरल नेटवर्क बड़ी मात्रा में ठीक उसी प्रकार इनपुट डेटा का उपयोग कर वांछित आउटपुट प्रदान करते हैं, जैसे मानव मस्तिष्क कार्य करता है।
- वास्तविक कार्य इनपुट और आउटपुट परतों के मध्य ब्लैक बॉक्स द्वारा संपन्न किया जाता है, जिसे हिडन नेटवर्क कहा जाता है।
- अल्फाफोल्ड को इनपुट के रूप में प्रोटीन अनुक्रमों के साथ जोड़ा जाता है।
- जब प्रोटीन अनुक्रम एक छोर से प्रवेश करते हैं, तो अनुमानित त्रि-आयामी संरचनाएँ दूसरे छोर के माध्यम से बाहर आती हैं।
- क्रियाविधि:
- पहले चरण में कंप्यूटर मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये प्रोटीन डाटा बैंक (PDB) में 1,70,000 प्रोटीन की उपलब्ध संरचनाओं का उपयोग किया जाता है।
- यह उस प्रशिक्षण के परिणामों का उपयोग PDB में नहीं बल्कि प्रोटीन की संरचनात्मक भविष्यवाणी के लिये करता है।
- यह पहले चरण से ही उच्च सटीकता पुर्वानुमान का उपयोग करता है ताकि पहले की पुर्वानुमानों की उच्च सटीकता प्राप्त करने के लिये फिर से प्रशिक्षित किया जा सके और फिर से सीख सकें।
- इस पद्धति का उपयोग करके अल्फाफोल्ड ने अब यूनिवर्सल प्रोटीन रिसोर्स (यूनिप्रोट) डेटाबेस में एकत्रित पूरे 214 मिलियन अद्वितीय प्रोटीन अनुक्रमों की संरचनाओं का पूर्वानुमान लगाया है।
- पहले चरण में कंप्यूटर मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये प्रोटीन डाटा बैंक (PDB) में 1,70,000 प्रोटीन की उपलब्ध संरचनाओं का उपयोग किया जाता है।
- आशय:
- मानव रोगों को समझने के लिये प्रोटीन संरचना और उसके कार्य को जानना आवश्यक है।
- प्रोटीन आमतौर पर एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी, परमाणु चुंबकीय अनुनाद स्पेक्ट्रोस्कोपी या क्रायोजेनिक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके संरचित होते हैं।
- इन तकनीकों में अक्सर वर्षों लग जाते हैं और ये मुख्य रूप से परीक्षण-और-त्रुटि विधियों पर आधारित होती हैं।
- अल्फाफोल्ड प्रोटीन संरचना की प्रक्रिया को आसान बनाता है।
- यह विशेष रूप से विज्ञान और संरचनात्मक जीव विज्ञान में एक ‘वाटरशेड मूवमेंट’ (Watershed Movement) है।
- लगभग एक साल पहले डेटाबेस की पहली सार्वजनिक निर्गमन के बाद से अल्फाफोल्ड ने पहले ही टीका और दवा विकास में अपनी खोजों में तेज़ी लाने में सैकड़ों वैज्ञानिकों की मदद की है।
- उपलब्ध विकल्प:
- अल्फाफोल्ड न तो त्रुटिहीन है और न ही केवल AI-आधारित प्रोटीन संरचना पूर्वानुमान संबंधी उपकरण है।
- अमेरिका के सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा विकसित RoseTTaFold एक अन्य उपकरण है।
- हालाँकि अल्फाफोल्ड की तुलना में इसने कम सटीक प्रोटीन परिसरों की संरचना की भविष्यवाणी की है।
- अमेरिका के सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा विकसित RoseTTaFold एक अन्य उपकरण है।
- अल्फाफोल्ड न तो त्रुटिहीन है और न ही केवल AI-आधारित प्रोटीन संरचना पूर्वानुमान संबंधी उपकरण है।
भारत के लिये इसका महत्त्व:
- भारत को अल्फाफोल्ड डेटाबेस का तेज़ी से लाभ उठाने और बेहतर टीकों और दवाओं को डिज़ाइन करने के लिये संरचनाओं का उपयोग करने का तरीका सीखने की ज़रूरत है।
- कम समय में कोविड -19 वायरस प्रोटीन की सटीक संरचना को समझने से वायरस के खिलाफ टीके और दवा के विकास में तेज़ी आएगी।
- भारत को विज्ञान में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के कार्यान्वयन में भी तेज़ी लानी चाहिये।
- इसे निजी क्षेत्र में प्रचलित हार्डवेयर और डेटा विज्ञान प्रतिभा तथा डेटा विज्ञान नवाचारों का मार्ग प्रशस्त करने के लिये अकादमिक संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ संयुक्त सहयोग की सुविधा प्रदान करनी चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्रश्न: प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019) (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। |