प्रारंभिक परीक्षा
अल्लूरी सीताराम राजू
- 05 Jul 2023
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हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने हैदराबाद में अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती के समापन समारोह में भाग लिया।
- अल्लूरी सीताराम राजू का 125वाँ समारोह महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती का एक वर्ष तक चलने वाला उत्सव था। इस समारोह का शुभारंभ 4 जुलाई, 2022 को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था।
अल्लूरी सीताराम राजू:
- परिचय:
- अल्लूरी सीताराम राजू एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- उन्होंने वर्तमान आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट क्षेत्र में एक गुरिल्ला अभियान में मोर्चा संभाला और ब्रिटिश सरकार के दमनकारी वन कानूनों तथा नीतियों के खिलाफ जनजातीय लोगों को एकजुट किया।
- उनकी बहादुरी और बलिदान के कारण स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें वननायक अथवा मान्यम वीरुडु के रूप में माना जाता है।
- प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि:
- उनका जन्म 4 जुलाई, 1897 अथवा 1898 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले के पंडरंगी गाँव में हुआ था।
- वह एक तेलुगू भाषी क्षत्रिय परिवार से थे।
- वर्ष 1922-1924 का रम्पा विद्रोह (मान्यम विद्रोह):
- अल्लूरी सीताराम राजू ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए असहयोग आंदोलन में भाग लिया था और उन्होंने पाया कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा पूर्वी घाट क्षेत्र में जनजातीय लोगों के शोषण किया जा रहा था।
- आदिवासी लोग पोडू या झूम/स्थानांतरण कृषि करते थे जिसमें कृषि के लिये वन भूमि के कुछ हिस्सों को साफ किया जाता था तथा कुछ वर्षों के बाद दूसरे क्षेत्रों में पलायन करना शामिल था। यह उनकी पारंपरिक और टिकाऊ जीवनशैली थी जो उनकी खाद्य सुरक्षा एवं सांस्कृतिक पहचान भी सुनिश्चित करती थी।
- वर्ष 1882 के मद्रास वन अधिनियम ने जनजातीय लोगों के आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अतिरिक्त लघु वन उपज के संग्रह पर भी प्रतिबंध लगा दिया जिससे उन्हें वन विभाग या ठेकेदारों के लिये कम मज़दूरी पर काम करने हेतु मजबूर होना पड़ा था।
- अल्लूरी सीताराम राजू ने एक गुरिल्ला सेना बनाई तथा ब्रिटिश पुलिस स्टेशनों और चौकियों पर आक्रमण करने के लिये गुरिल्ला युद्ध पद्धति का उपयोग किया था।
- गुरिल्ला युद्ध अनियमित युद्ध का एक रूप है जिसमें लड़ाकों के छोटे समूह बड़ी और कम गतिशील पारंपरिक सेना से लड़ने के लिये घात, तोड़फोड़, छापे, छद्म युद्ध, मारना और भागना रणनीति सहित सैन्य रणनीतियों का उपयोग करते हैं।
- उनका लक्ष्य आदिवासी लोगों को आज़ाद कराना और अंग्रेज़ों को पूर्वी घाट से बाहर निकालना था।
- मृत्यु और विरासत:
- 7 मई, 1924 को कोय्युरू गाँव में ब्रिटिश सेना ने अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ लिया और मार डाला, जो रम्पा विद्रोह के अंत का प्रतीक था।
- अल्लूरी सीताराम राजू का जीवन जाति और वर्ग के आधार पर भेदभाव किये बिना समाज की एकता का उदाहरण है।
- वर्ष 1986 में भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट जारी की गई जिस पर अल्लूरी सीताराम राजू की तस्वीर है।
- अल्लूरी सीताराम राजू नामक जीवनी पर आधारित फिल्म वर्ष 1974 में रिलीज़ हुई थी।