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अफ्रीकन स्वाइन फीवर

  • 12 Jan 2022
  • 4 min read

हाल ही में थाईलैंड ने एक बूचड़खाने में एकत्र किये गए सतह के स्वाब के नमूने में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पता लगाया है।

ASF

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू तथा जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सूअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic Fever) से पीड़ित होते हैं।
    • रोग के अन्य लक्षणों में तेज़ बुखार, अवसाद, एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा से रक्तस्राव, उल्टी और दस्त शामिल हैं। 
    • इसे पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था।
      • ऐतिहासिक रूप से अफ्रीका और यूरोप, दक्षिण अमेरिका तथा कैरेबियन के कुछ हिस्सों में प्रकोप की सूचना मिली है।
      • हालाँकि हाल ही में (2007 से) अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कई देशों में घरेलू एवं जंगली सूअरों में यह बीमारी पाई गई।
      • 2021 में भारत में भी इस प्रकार के मामलों का पता चला था।
    • इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और चूँकि इस बुखार का कोई इलाज नहीं है, अतः इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है।
    • अफ्रीकी स्वाइन फीवर मनुष्य के लिये खतरा नहीं होता है, क्योंकि यह केवल जानवरों से जानवरों में फैलता है।
    • अफ्रीकी स्वाइन फीवर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक ऐसी बीमारी है जिसके संदर्भ में तुरंत OIE को सूचना देना आवश्यक है।

क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF):

  • क्लासिकल स्वाइन फीवर को हॉग हैजा (Hog Cholera) के नाम से भी जाना जाता है, यह सूअरों से संबंधित एक गंभीर बीमारी है।
  •  यह दुनिया में सूअरों से संबंधित आर्थिक रूप से सर्वाधिक हानिकारक महामारी, संक्रामक रोगों में से एक है। 
  • यह ‘फ्लेवीवीरिडी’ (Flaviviridae) फैमिली के जीनस पेस्टीवायरस के कारण होता है, जो कि इस वायरस से निकटता से संबंधित है तथा मवेशियों में ‘बोवाइन संक्रमित डायरिया’ और भेड़ों में ‘बॉर्डर डिज़ीज़’ का कारण बनता है।
  • इसमें मृत्यु दर 100% है।
  • हाल ही में ICAR-IVR ने एक सेल कल्चर CSF वैक्सीन (लाइव एटेन्युएटेड) विकसित की है जिसमे विदेशी स्ट्रेन से लैपिनाइज्ड वैक्सीन वायरस का उपयोग किया जा रहा है।
    • यह नया टीका टीकाकरण के 14वें दिन से लेकर 18 महीने तक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन:

  • यह दुनिया-भर में पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार हेतु उत्तरदायी एक अंतर-सरकारी संगठन (Intergovernmental Organisation) है।
  • वर्तमान में कुल 182 देश इसके सदस्य हैं। भारत इसका सदस्य है।
  • यह नियमों से संबंधित मानक दस्तावेज़ विकसित करता है जिनके उपयोग से सदस्य देश बीमारियों और रोगजनकों से स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं। इसमें से एक क्षेत्रीय पशु स्वास्थ्य संहिता भी है।
  • इसके मानकों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा संदर्भित संगठन (Reference Organisation) के अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता नियमों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • इसका मुख्यालय पेरिस (फ्राँस) में स्थित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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