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रखाइन में भीषण अकाल

  • 12 Nov 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने चेतावनी दी है कि म्याँमार का रखाइन राज्य, जो रोहिंग्या अल्पसंख्यकों का निवास स्थान है, आंतरिक संघर्षों, आर्थिक पतन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण भीषण अकाल का सामना कर रहा है।

  • भीषण अकाल के प्रमुख कारक: वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने वाली नाकेबंदी, उच्च मुद्रास्फीति, आय की कमी, खाद्य उत्पादन में कमी, आवश्यक सेवाओं का अभाव।
    • पूर्वानुमानों से ज्ञातव्य है कि घरेलू खाद्य उत्पादन मार्च-अप्रैल 2025 तक रखाइन की ज़रूरतों का केवल 20% ही पूरा कर पाएगा। घरेलू खाद्य उत्पादन में गिरावट के कारण मार्च-अप्रैल 2025 तक 2 मिलियन से अधिक लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है।
    • सैन्य नेतृत्व वाली सरकार ने मानवीय सहायता के वितरण और पहुँच पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे रखाइन राज्य में बिगड़ते मानवीय संकट को और भी गंभीर बना दिया है।
  • म्याँमार का सबसे पश्चिमी राज्य रखाइन, सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है, जो निरंतर संघर्ष, विस्थापन और गरीबी का सामना कर रहा है। 
    • म्याँमार में रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से व्यवस्थित भेदभाव और नागरिकता कानूनों के कारण हाशिये पर हैं, जिससे उन्हें राज्यविहीनता तथा अधिकारों से वंचित जीवन जीने पर मजबूर होना पड़ा है। जिसके कारण लाखों लोग उत्पीड़न के कारण पलायन कर रहे हैं।
    • वर्ष 2017 में, भारत ने म्याँमार को रखाइन राज्य में विस्थापित व्यक्तियों के लिये आवासीय बुनियादी ढाँचे के निर्माण में सहायता करने के लिये एक विकास कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किये थे।
  • UNDP की स्थापना वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन तथा सतत् विकास, लोकतांत्रिक शासन और जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देना है। 

और पढ़ें:  म्याँमार में जारी मुद्दे

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