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UAPA के तहत 14 दिन की समय-सीमा

  • 25 Sep 2024
  • 2 min read

स्रोत:  हिंदुस्तान टाइम्स 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967  के तहत अभियोजन की मंजूरी देने के लिये 14 दिन की समय-सीमा अनिवार्य है , न कि विवेकाधीन।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इस समय-सीमा के तहत कार्य करना आवश्यक है।
  • UAPA नियम 2008 में "करेगा (shall) " शब्द का प्रयोग किया गया है , जो निर्धारित 14 दिनों के अंदर मंजूरी प्रक्रिया को पूरा करने के स्पष्ट विधायी इरादे को दर्शाता है। 
    • इसमें स्वतंत्र समीक्षा (7 दिन) और सरकारी निर्णय (7 दिन) दोनों शामिल हैं।
  • 14 दिन की समय-सीमा का पालन न करने पर गंभीर कानूनी परिणाम हो सकते हैं, जैसे आपराधिक कार्यवाही को रद्द करना।
  • यह निर्णय भावी रूप से लागू होगा, अर्थात यह पिछले मामलों को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन भविष्य में सभी मामलों में इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिये।
  • इससे पहले बॉम्बे और झारखंड उच्च न्यायालयों ने 14 दिन की समय-सीमा को महज विवेकाधीन माना था। 
  • UAPA भारत सरकार के लिये आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है।

और पढ़ें: विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967

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